Kargil Vijay Diwas 2020: भारत का वो 'बहादुर' जिसे पाकिस्तानी सैनिक बुलाते थे चुड़ैल, करगिल में चटाई थी धूल

साल 1999 फरवरी महीने में भारत और पाकिस्तानी सेनाएं आपसी सहमती के बाद करगिल के पहाड़ी क्षेत्रों से पीछे हटने को तैयार हुई थी. साल 1972 में हुए शिमला समझौते के तहत ऐसा हो रहा था और भारतीय सेना ने अपने वादे के मुताबित पूछी हट गई थी. लेकिन दूसरी तरफ पाकिस्तान ने धोखा दिया और उसने करगिल के क्षेत्रों में 5 हजार से अधिक जवानों को भेज दिया और भारत की कई महत्वपूर्ण चौकियों पर कब्जा जमा लिया. पाकिस्तान की चाल थी कि वो जम्मू-श्रीनगर हाइवे को निशाना बनाएगा जिसके बाद कश्मीर को भारत से अलग कर भारत पर दवाब बना उसे कश्मीर मुद्दे पर बातचीत के लिए राजी करेगा.
ऐसे हुई थी युद्ध की शुरूआत
3 मई को एक चरवाहे ने भारतीय जवानों को खबर दी कि पाकिस्तान ने भारत के कई महत्वपूर्ण पोस्ट पर कब्जा कर लिया है. इसके बाद मिली जानकारियों के अनुसार, पाकिस्तान सेना की तीन इंफेंट्री ब्रिगेड ने भारत की तोलोलिंग, तोलोलिंग टॉप, टाइगर हिल और राइनो होन समेत इंडिया गेट, हेलमेट टॉप, शिवलिंग पोस्ट, रॉकीनोब और .4875 बत्रा टॉप जैसी 400 से अधिक चोटियों पर कब्जा कर लिया था. इसके बाद 5 भारतीय जवानों के एक गश्ती दल वहां पहुंचा तो पाक सैनिकों ने भारतीय जवानों की निर्मंमता से हत्या कर दी थी और जवानों के शव को क्षत-विक्षत कर वापस सौंपा था.
पाकिस्तानी सैनिकों के कब्जे में भारत की 150 किलोमीटर से अधिक जमीन थी. भारतीय सेना ने पाकिस्तानी घुसपैठियों से अपने इलाके खाली कराने के लिए ऑपरेशन विजय चलाया और इसी के साथ ही युद्ध की शुरूआत हुई थी.

पाकिस्तान के मारे गए थे 3 हजार जवान
मई से जुलाई के बीच करगिल की ऊंची पहाड़ियों में भारतीय सेना के जज्बे के सामने पाकिस्तानी सैनिकों ने घुटने टेक दिए थे. पाकिस्तानी सेना के जवान कारगिल की ऊंची पहाड़ियों पर थे, रणनीतिक रूप से भारत पिछड़ा हुआ था लेकिन भारतीय जवानों ने अदम्य साहस का परिचय दिखाया और पाकिस्तानी सेना के एक-एक जवानों को मौत के घाट उतार दिया. कहा जाता है कि इस युद्ध के दौरान भारतीय सेना ने पाकिस्तान के 3 हजार से अधिक जवानों को मार गिराया था. हालांकि, हमने भी अपने 527 खो दिए थे, जबकि 1363 जवान घायल हुए थे.
मिग-27 जिसे पाक सैनिक बुलाते थे 'चुड़ैल'
वहीं कारगिल युद्ध में भारतीय नौसेना और भारतीय वायु सेना का भी अहम योगदान रहा था. भारतीय वायु सेना ने कारगिल युद्ध के दौरान ऑपरेशन ‘सफेद सागर’ चलाया था और इस दौरान पाकिस्तान के सैनिकों पर करीब 32 हजार फीट की ऊंचाई से बम बरसाए थे. वायु सेना ने पाक सैनिकों को खदेड़ने के लिए मिग-27 और मिग-29 का इस्तेमाल किया था. कारगिल युद्ध में मिग-27 ने बेहद ही सटीकता के साथ बम बरसाए थे. कहा जाता है कि मिग-27 को करगिल में अपना पराक्रम दिखाने के लिए बहादुर नाम दिया गया था जबकि पाकिस्तानी सैनिक उसे चुड़ैल बुलाते थे. हालांकि, मिग-27 को अब भारतीय वायु सेना से रिटायरमेंट दे दी गई है.
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First published: 24 July 2020, 13:42 IST