स्कूल के ग्राउंड में मिला रहस्यमयी तहखाना, जिसने देखा वो रह गया दंग

दुनियाभर में ऐसी तमाम जगह हैं जिनका रहस्य लोग आजतक नहीं जान पाए. ऐसा ही कुछ हुआ था द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान. जब 1940 के दशक में जर्मन के ब्रिस्टल में हवाई हमलों से बच्चों को बचाने के लिए अंडरग्राउंड एयर रेड सुरंग बनाई जाती थी. तभी ब्रिस्टल के प्राथमिक विद्यालय के नीचे बनाई गई सुरंग की दीवारों में कुछ स्कूली बच्चों ने अपना दर्द उकेरकर सबको आश्चर्यचकित कर दिया.
किसी बच्चे ने सुरंग के अंदर कविता लिखी तो किसी ने अपना घर बनाकर अपने भावनाओं को उकेरा. जब इन आक्रतियों को लोगों ने देखा तो सब हैरान रह गए. बताया जाता है कि 1940 के दशक में जब दूसरा विश्व युद्ध चल रहा था तब जर्मनी ने स्कूल में बच्चों की सुरक्षा के लिए ऐसी ही बंकरनुमा सुरंगें बना रखी थीं, जिससे हवाई हमलों के दौरान बच्चों को बचाया जा सके.

सुरंग की दीवारों में तरह-तरह की डिजाइन, जीव-जंतुओं के चित्र, लिखी हुई कविताएं आज भी दिखाई देती हैं. एक आकृति में एक बच्चा लिखता है 'पामेला मेरे साथ जाता है', एक तस्वीर के साथ एक और कहता है कि लड़की रो रही है, लड़का मुक्केबाजी कर रहा है.

इन चित्रों से पता चलता है कि हमले के वक्त डरे सहमे बच्चों ने क्या कुछ सहा होगा. दीवार में बनाए गए एक ऐसे ही चित्र में बच्चे ने लिखा है रमीला मेरे साथ चला जाता है. सुरंग में बच्चों के द्वारा बनाए गए चित्र को ध्यान से देखते कर्मचारी. अब ब्रिस्टेल के हिलक्रिस्ट प्राइमरी स्कूल के खेल के मैदान के नीचे सुरंगों को असुरक्षित घोषित किया गया है और इन्हें भरने का काम जारी है ताकि आगे चलकर बच्चों को किसी तरह की कोई दिक्कत न हो.

एक बच्चे ने कविता के माध्यम से अपना दर्द लिखा है कि 'बिल्ली चटाई पर बैठी और कुछ चमगादड़ खाया, लड़की रो रही है, लड़का मुक्केबाजी कर रहा है.' कहा जा रहा है कि स्कूल में पाई गई इस बंकरनुमा सुरंग को बनाने में सीमेंट और लोहे की चादरों का इस्तेमाल किया गया है. जिन पर बच्चों ने जगह-जगह खेल की भी डिजाइन बनाई है.
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First published: 18 October 2018, 16:09 IST