प्रबलगढ़ का किला: जहां शाम होते ही मंडराने लगता है मौत का साया, सूरज ढलने से पहले नहीं लौटे तो..

Prabalgad Fort: दुनिया में तमाम ऐसी जगहें हैं जो किसी अजूबे से कम नहीं हैं. कुछ ऐसी जगहें भी हैं, जहां आज भी रहस्य बरकरार है. कुछ जगहों पर तो लोग खौफ की वजह से नहीं जाते हैं. ऐसी ही एक जगह महाराष्ट्र के माथेरान और पनवेल के बीच स्थित प्रबलगढ़ का किला है. इस किले में आज भी शाम होने के बाद लोग जाने से खौफ खाते हैं.
प्रबलगढ़ के किले में शाम होते ही मौत का साया मंडराने लगता है. प्रबलगढ़ के किले को कलावंती का किला भी कहा जाता है. इस किले को भारत के सबसे खतरनाक किलों में गिना जाता है. प्रबलगढ़ का किला 2300 फीट ऊंची खड़ी पहाड़ी पर बना हुआ है. इस वजह से भी किले पर बहुत कम लोग आते हैं और जो आते हैं वह सूरज ढलने से पहले लौट जाते हैं.

ऊंची खड़ी पहाड़ी होने की वजह से शाम ढलते ही यहां डर लगने लगता है. खड़ी चढ़ाई की वजह से इंसान यहां लंबे समय तक टिक नहीं पाता. यहां ना तो बिजली है और ना ही पानी की कोई व्यवस्था है. जैसे ही सूरज ढलता है, वैसे ही यहां मीलों दूर तक सन्नाटा पसर जाता है. यह किला अपनी खूबसूरती के लिए भी जाना जाता है, लेकिन इसे बेहद खतरनाक भी कहा जाता है.
किले को बसाने वाले राजा ने किले तक पहुंचने के लिए कई चट्टानों को काटकर सीढ़ियां बनवाई हैं, हालांकि इन सीढ़ियों पर ना ही रस्सियां हैं और ना कोई रेलिंग. इन सीढ़ियों पर चढ़ने में इंसान की हालत खराब हो जाती है. यहां जरा सी चूक हुई नहीं कि आप सीधा 2300 फीट नीचे खाई में जा गिरेंगे. इस वजह से भी लोग यहां अंधेरे में आने से डरते हैं.

इस किले से गिरकर अब तक कई लोगों की मौत हो चुकी है. इस किले का नाम पहले मुरंजन किला था, लेकिन छत्रपति शिवाजी महाराज के राज में इसका नाम बदलकर अपनी रानी कलावंती के नाम पर कलावंती रख दिया था.
इस ऊंचे किले से आप चंदेरी, माथेरान, करनाल और इर्शल किले को देख सकते हैं. मुंबई का भी कुछ हिस्सा इस किले पर चढ़ने के बाद नजर आता है. यहां अक्तूबर महीने से मई महीने तक लोग खूब घूमने आते हैं. बारिश के दिनों में यहां चढ़ना बेहद खतरनाक होता है, इस वजह से यहां बारिश में लोगों का आना बंद हो जाता है.
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First published: 24 October 2020, 14:58 IST