पृथ्वी सपाट हैः साबित करने के लिए रॉकेट बनाकर आसमान में उड़ गया यह बुजुर्ग

एक बुजुर्ग जिसका मानना है कि पृथ्वी गोल नहीं बल्कि सपाट है, यह साबित करने के लिए शनिवार को हवा में उड़ गया. बुजुर्ग माइक ह्यूज ने खुद से रॉकेट बनाया और उसमें बैठकर उड़ गया. सुनने में तो यह बात हैरान करने वाली लग सकती है, लेकिन यह हकीकत है.
अमेरिका के कैलिफोर्निया में एम्बॉय के पास माइक ह्यूज ने शनिवार को रॉकेट से उड़ान भरी और 1,875 फीट की ऊंचाई तक हवा में गए और इसके बाद मोजैवे मरुस्थल में उनकी लैंडिंग (हवा से जमीन पर आना) काफी मुश्किल भरी रही. जमीन पर वापसी के बाद उन्होंने एसोसिएटेड प्रेस से बातचीत में कहा कि वो बाकी तो ठीक हैं लेकिन उनकी पीठ में दर्द है.
चिकित्सा दल द्वारा जांच के बाद ह्यूज ने कहा, "सुकून, मैं लोगों की यह बात सुन-सुनकर थक गया था कि मैंने बेवकूफ बनाया और मैं रॉकेट नहीं बना सकता. मैं उन सबसे थक गया. मैंने काम किया और इसे पूरा कर दिया."
वैसे लॉस एंजेलिस से करीब 200 मील पूर्व में स्थित रॉकेट के लॉन्चिंग स्थान पर यह काम नवंबर में होना था. लेकिन सामान लाने-ले जाने, ब्यूरो ऑफ लैंड मैनेजमेंट के साथ विवाद और कई अन्य मैकेनिकल परेशानियों के चलते इसमें देरी हो गई.
More daredevil than engineer, a self-taught rocket scientist blasts off into the California sky _ and comes back down a little dinged up but in one piece. https://t.co/6tvSKF9x7k
— AP West Region (@APWestRegion) March 25, 2018
माइक ह्यूज की उम्र 61 साल की है और वो लिमोजीन के ड्राइवर थे. हजेस ने एक मोबाइल होम (इधर-उधर जा सकने वाला घर) को रैंप बनाया और इसे वर्टिकल एंगल से लॉन्चिंग के लिए मॉडीफाई कर दिया ताकि वो सार्वजनिक स्थान के मैदान पर वापस न गिरें. कई महीनों से वे अपने गैराज में रॉकेट की ओवरहॉलिंग कर रहे थे.
शनिवार को भी पहले ऐसा ही लगा कि रॉकेट की लॉन्चिंग फिर नहीं हो सकेगी क्योंकि हवा का बहाव तेज था और रॉकेट से भाप खत्म हो रही थी. आदर्श रूप से वे चाहते थे भाप का दबाव अधिकतम 350 psi हो, लेकिन यह गिरकर 340 पर पहुंच गया.
माइक ह्यूज के इस प्रयास में मदद करने वाले वैल्डो स्टेक्स ने कहा, "मैंने माइक से कहा कि हम इसे और चार्ज करते रहते हैं और इसे ज्यादा गर्म करते हैं, लेकिन उन्होंने मना कर दिया."
दोपहर करीब तीन बजे बिना किसी काउंटडाउन के ह्यूज ने खुद को रॉकेट में बैठाकर उड़ा दिया. स्टेक्स के मुताबिक पैराशूट खोलने से पहले ह्यूज के रॉकेट ने तकरीबन 350 मील प्रतिघंटा (563 किलोमीटर प्रतिघंटा) की रफ्तार हासिल की. वो बेहद तेजी से नीचे गिर रहे थे इसलिए उन्हें दूसरा पैराशूट भी खोलना पड़ा. उन्होंने एक बड़े जोरदार धमाके के साथ नीचे लैंड किया और रॉकेट का अगला हिस्सा दो टुकड़े हो गया, जैसे इसे डिजाइन किया गया था.
First published: 25 March 2018, 19:44 IST