Review of Reviews: कंगना की सिमरन का बाॅक्स आॅफिस पर कैसा रहा जादू

कंगना रनोट स्टारर 'सिमरन' शुक्रवार को रिलीज हो गई है. हंसल मेहता निर्देशित इस फिल्म में कंगना का किरदार काल्पनिक नहीं बल्कि भारतीय मूल की एक अमेरिकन महिला संदीप कौर से प्रेरित है. 'बॉम्बशेल बैंडिट' और 'गैंबलिंग क्वीन' के नाम से कुख्यात संदीप कौर फिलहाल अमेरिका की जेल में बंद है. आपको बता दें कि संदीप को बैंक लूटने का दोषी पाया गया था. इस किरदार को कंगना ने सिमरन में उतारा है. जानें कैसा है इस फिल्म का रिव्यू.
आजतक:
फिल्म का ट्रेलर काफी दिलचस्प था, लेकिन जैसे-जैसे फिल्म आगे बढ़ती है, वैसे-वैसे एक अच्छी कहानी की तलाश में हम भटकने लगते हैं. आखिर में भी निराशा ही हाथ लगती है. फिल्म का फर्स्ट हाफ काफी बांध के रखता है, लेकिन इंटरवल के बाद का पार्ट बहुत ज्यादा निराश करता है. फिल्म का क्लाइमेक्स बेहतर हो सकता था.
फिल्म का डायरेक्शन, लोकेशन, सिनेमेटोग्राफी काफी बढ़िया है. कंगना रनोट ने जिस तरह से गुजराती किरदार को पेश किया है, वह काबिल ए तारीफ़ है.
दैनिक जागरण:
राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित कंगना रनौत और हंसल मेहता की यह फ़िल्म अत्यंत साधारण फ़िल्म है! फ़िल्म शुरू होने के कुछ समय तक तो आपको समझ ही नहीं आता कि आखिर हो क्या रहा है? लेकिन, आप उसके साथ आनंद ले पाते हैं. मगर एक जैसे ही दृश्य इंटरवल तक लगातार चलते रहते हैं तो आप बेसब्री से इंटरवल का इंतजार करते हैं. जैसे-तैसे इंटरवल होता है और आपको लगता है कि शायद अब कहानी आगे बढ़ेगी. मगर इंटरवल के बाद फिर आप को निराशा ही हाथ लगती है क्योंकि वैसे ही कहानी आगे भी चलती हुई नज़र आती है.
आखिर ये फ़िल्म बनाने के पीछे मकसद क्या था? ऐसा क्या था जिसे सुनकर कंगना और हंसल ने यह तय किया कि यह फ़िल्म बनाई जाए, यह समझ से परे है! अभिनय के नाम पर बात करें तो कंगना को छोड़कर फ़िल्म में एक भी एक्टर ऐसा नहीं था जिसने कोई ख़ास कमाल किया. हालांकि, कंगना ने ज़बरदस्त परफॉर्मेंस किया है, इस बात के लिए उनकी तारीफ़ करनी होगी.
टाइम्स आॅफ इंडिया:
ऐसा लग रहा है जैसे हंसल मेहता ने फालतू कॉमिडी फिल्म बनाई है. इसमें बुरा तो कुछ भी नहीं लेकिन लेकिन अगर सब्जेक्ट जो कि असली कहानी है, इसे लाइटली ट्रीट किया भी गया है तो ऑडियंस को और हंसाने की कोशिश करनी चाहिए थी.
फिल्म का सबसे अच्छा पार्ट कंगना ही हैं. भले वह विनम्र या साहसी हों, पर्दे पर उनका महत्व दिखता है. हालांकि, कई मौकों पर कंगना का फोकस फिसलता दिखता है, लेकिन क्या इसके लिए उन्हें जिम्मेदार मानना चाहिए? शायद फिल्ममेकर के पास कोई दूसरा ऐसा स्टार भी नहीं है. फिल्म में सिमरन के पैरंट्स, उसके मंगेतर समीर (सोहम) और बाकी देसी-विदेशी कलाकारों ने बहुत ज्यादा कमाल नहीं किया है.
सच कहें, तो आप 'सिमरन' को लेकर भावुक नहीं हो पाएंगे चाहे जितनी कोशिश कर लें. लेकिन जब आप फिल्म देखेंगे तो कहीं-कहीं उसकी फीलिंग्स को महसूस ज़रूर करेंगे और वह भी कंगना की अदाकारी की वजह से. उनकी तारीफ़ तो बनती है.