हवाई जहाजों की इस जरूरत को देखते हुए विदेशी कंपनियां बढ़ा रही हैं 'मेक इन इंडिया' की ओर कदम

आने वाले समय में भारत दुनिया की विमानन कंपनियों के लिए सबसे बड़ा बाजार बनने जा रहा है. एयरबस के नवीनतम इंडिया मार्केट पूर्वानुमान के मुताबिक भारत को अगले 20 सालों में 1,750 नए यात्री और कार्गो विमानों की आवश्यकता होगी ताकि यात्रियों और कार्गो में हो रही वृद्धि को देखते हुए आवश्यकता को पूरा किया जा सके.
इस वृद्धि को पूरा करने के लिए भारत को 1,320 नए सिंगल-ऐजल एयरक्राफ्ट और 430 वाईडबॉडी विमानों की ज़रूरत होगी. इनका मूल्य 255 अरब अमरीकी डॉलर के लगभग होगा. रिपोर्ट के अनुसार एयर ट्रैफिक में बढ़ोतरी की उम्मीद तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के संकेत हैं.
रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि अगले 20 सालों में घरेलू हवाई यात्रियों की ट्रैफिक में सालाना आधार पर 8.1 फीसदी की वृद्धि होगी जो कि वैश्विक दर के 4.4 प्रतिशत का दोगुना है. यही नहीं अगले 20 सालों में भारत के एयर ट्रैफिक में पांच गुना की बढ़ोतरी होगी. बुनियादी सुविधाओं की कमी को ध्यान में रखते हुए अकेले दिल्ली को ए 380 के 70 डेली फ्लाइट्स की आवश्यकता होगी.
According to our latest market forecast, #India will require 1,750 new passenger and cargo aircraft ✈️ over the next 20 years to meet an exponential rise in both passenger and freight traffic https://t.co/ZjsUWJJcy8 #WingsIndia2018 pic.twitter.com/6CPEPWnwoa
— Airbus (@Airbus) March 9, 2018
एयरबस की रिपोर्ट के अनुसार ब्रिटेन के सबसे व्यस्त हवाई अड्डे हीथ्रो में 10 प्रतिशत ट्रैफिक को ए 380 के द्वारा नियंत्रित किया जा रहा है. 2019 -20 तक भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा विमानन बाजार बन जाएगा. एयरबस कमर्शियल एयरक्राफ्ट के अध्यक्ष श्रीनिवासन द्वारकानाथ का कहना है कि हम मेक इन इंडिया को ध्यान में रख रहे हैं.
एयरबस के पास किसी भी अंतरराष्ट्रीय विमान निर्माता के ज्यादा भारत में एंट्री करने की संभावना है. भारत 2019/2020 तक दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा विमानन बाजार बनने जा रहा है और एयरबस 530 से अधिक विमानों के आर्डर के लिए सहयोग के लिए पूरी तरह तैयार है.
First published: 10 March 2018, 12:34 IST