अरुण जेटली: जीएसटी को लगभग सभी राज्यों का समर्थन

केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि तकरीबन सभी राज्य गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) के विचार के समर्थन में हैं. जीएसटी पर राज्यों की सहमति बनाने के लिए कोलकाता में राज्यों के वित्त मंत्रियों की अहम बैठक हो रही है.
दो दिनों तक चलने वाली इस बैठक में जीएसटी के ड्राफ्ट बिल पर भी चर्चा की जा रही है. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है, "अब तक सभी राज्यों ने जीएसटी के बारे में विस्तृत रूप से अपने विचार रखे हैं. तकरीबन हर राज्य ने जीएसटी के विचार का समर्थन किया है."
So far, every state has given its detailed views on the GST itself. Virtually, every state has supported the idea of GST: Arun Jaitley
— ANI (@ANI_news) June 14, 2016
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा, "केवल एक राज्य तमिलनाडु को छोड़कर सभी राज्यों ने जीएसटी पर कुछ सलाह दी है, जिस पर हम ध्यान दे रहे हैं."
Except one state Tamil Nadu, they have made some suggestions which has been taken note of: FM Arun Jaitley pic.twitter.com/1p3RFbCuLa
— ANI (@ANI_news) June 14, 2016
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा, "जहां तक पहले तीन साल में एक फीसदी अतिरिक्त टैक्स का सवाल है, मैंने साफ कर दिया है कि इस मुद्दे पर लचीला रुख अपनाने को सरकार तैयार है."
As far as 1% additional tax for first 3 years is concerned, have made it clear that I am flexible on that issue: Arun Jaitley #GST
— ANI (@ANI_news) June 14, 2016
मानसून सत्र से पहले अहम बैठक
संसद के मानसून सत्र में जीएसटी बिल पास कराने के लिहाज से ये बैठक काफी अहम मानी जा रही है. इस बैठक में जीएसटी के ढ़ांचे और प्रक्रिया की समीक्षा भी की जाएगी. ये भी माना जा रहा है कि इस बैठक में केंद्र और राज्यों के विवाद निपटाने के नियम तय होंगे.
हालांकि इस बैठक में टैक्स दरों को बिल में शामिल करने पर चर्चा नहीं की जाएगी. साथ ही एक फीसदी अतिरिक्त टैक्स लगाने का मुद्दा इस बैठक के एजेंडे में शामिल नहीं है. बजट सत्र में विपक्ष के विरोध की वजह से जीएसटी बिल एक बार फिर अटक गया था.
हाल ही में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी जीएसटी विधेयक पर सरकार को समर्थन का एलान किया था.
क्या है जीएसटी?
वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) देश भर में विनिर्माण, वस्तु और सेवाओं की बिक्री एवं उपभोग पर लगने वाला अप्रत्यक्ष कर होगा. यह केंद्र एवं राज्य सरकारों द्वारा लगाए जाने वाले विभिन्न करों की जगह लेगा.
इनपुट टैक्स क्रेडिट पद्घति के आधार पर जीएसटी खरीद एवं बिक्री के प्रत्येक स्तर पर लगाया जाएगा और इससे न केवल विनिर्माण बल्कि एक राज्य से दूसरे राज्य में वस्तुओं की आवाजाही और सुगम हो पाएगी.
राज्यों की सहमति क्यों जरूरी?
फिलहाल जो हालात बने हुए हैं, उनमें जीएसटी से जुड़ा संविधान संशोधन विधेयक लंबे समय से राज्यसभा में अटका हुआ है. मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस इसे समर्थन देने से इनकार कर रही है. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने भरोसा जताया है कि मानसून सत्र में आखिरकार यह विधेयक पारित हो जाएगा.
जब राज्यसभा में यह विधेयक पारित हो जाएगा, उसके बाद भी काफी काम अधूरा रह जाएगा. लोकसभा और राज्यसभा में पारित होने के बावजूद राज्यों की विधानसभाओं में कम से कम 50 फीसदी से ज्यादा को इस पर मुहर लगानी होगी. इसके अलावा राज्यों को भी अपने जीएसटी विधेयक पारित करने होंगे.
अगर यह मान लिया जाए कि मानसून सत्र में जीएसटी विधेयक पारित हो जाता है, उसके बाद भी एक अप्रैल, 2017 से पहले इसके अमल में आने की संभावना नहीं है.
First published: 14 June 2016, 3:06 IST