भोपाल गैस त्रासदी 20वीं सदी की सबसे बड़ी औद्योगिक दुर्घटनाओं में शामिल : यूएन रिपोर्ट

संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट ने कहा है 1984 की भोपाल गैस त्रासदी, जिसने हजारों लोगों की जान ले ली, दुनिया की 20 वीं सदी की प्रमुख औद्योगिक दुर्घटनाओं में से एक है. कहा गया है कि 20 लाख से ज्यादा श्रमिक हर साल व्यावसायिक दुर्घटनाओं और काम से संबंधित बीमारियों से मर जाते हैं.
संयुक्त राष्ट्र की श्रम एजेंसी अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) द्वारा जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि 1984 में मध्य प्रदेश की राजधानी में यूनियन कार्बाइड कीटनाशक संयंत्र से कम से कम 30 टन मिथाइल आइसोसाइनेट गैस निकली, जिसने 600,000 से अधिक श्रमिकों और आसपास के निवासियों को प्रभावित किया.
सरकारी आंकड़ों का अनुमान है कि आपदा के बाद 15,000 मौतें हुई हैं. विषाक्त सामग्री बनी हुई है और हजारों जीवित बचे लोग और उनके वंशज श्वसन रोगों से और आंतरिक अंगों और प्रतिरक्षा प्रणाली को नुकसान से पीड़ित हैं. 'वर्क ऑफ द फ्यूचर ऑफ द फ्यूचर ऑफ वर्क- बिल्डिंग ऑन 100 इयर्स एक्सपीरियंस' शीर्षक से रिपोर्ट में कहा गया है कि भोपाल की आपदा 1919 के बाद दुनिया की प्रमुख औद्योगिक दुर्घटनाओं में से एक थी.
रिपोर्ट में सूचीबद्ध 1919 के बाद अन्य नौ प्रमुख औद्योगिक आपदाओं में चेरनोबिल और फुकुशिमा परमाणु आपदाओं के साथ-साथ राणा प्लाजा इमारत का का जिक्र है. बांग्लादेश में सबसे खराब औद्योगिक आपदाओं में से एक, ढाका में राणा प्लाजा इमारत अप्रैल 2013 में ढह गई थी. पांच कपड़ा कारखानों को रखने वाली इस इमारत में कम से कम 1,132 लोग मारे गए थे और 2,500 से अधिक घायल हुए थे.
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First published: 20 April 2019, 15:31 IST