नोटबंदी: राज्यों में स्टाम्प ड्यूटी का कलेक्शन 20 फ़ीसदी तक गिरा

केंद्र सरकार यह मानने को तैयार नहीं है कि डिमोनेटाइजेशन से देश की आर्थिक गतिविधियां सीधे-सीधे प्रभावित हुई हैं. लेकिन अगर आम अनुभवों और अवलोकनों को मानें तो इस बात के पर्याप्त संकेत हैं कि डिमोनटाइजेशन के कारण उपभोक्ता मांग से प्रभावित होने वाले सेक्टरों को काफी नुकसान उठाना पड़ा है.
राज्य सरकारों के मासिक खातों से मिली जानकारी से इसकी पुष्टि होती है कि नकदी पर निर्भर रियल स्टेट इससे नकरात्मक रूप से प्र्भावित हुआ है. भारत के कंपट्रोलर ऑफ आडिटर जनरल यानी सीएजी को 14 राज्यों से मिली मासिक रिपोर्ट पर गौर करें तो ज्ञात होता है कि नवंबर और दिसंबर में राज्यों की स्टाम्प ड्यूटी में पिछले वर्ष के इसी अवधि की तुलना में 2015 करोड़ की गिरावट आई है. इस तरह से 2015 की तुलना में 2016 में स्टाम्प ड्यूटी संग्रह में 20 प्रतिशत से अधिक की भारी गिरावट दर्ज की गई.
रियल स्टेट की बिक्री के बारे में निजी एजेंसियों से जो आंकड़े मिलते हैं वे भी इसी तरह के ट्रेंड को इंगित करते हैं. प्रोपटाइगर की रिपोर्ट के अनुसार पूरे भारत के नौ शहरों में रियल स्टेट की सेल में 20 प्रतिशत से अधिक की गिरावट अक्टूबर-दिसंबर की तिमाही में आई.
इसी तरह जुलाई-सितंबर तिमाही में यह गिरावट 4 प्रतिशत की थी. संख्या की बात करें तो जहां दूसरी तिमाही में 54721 यूनिटें बिकी थीं वहीं तीसरे क्वार्टर में यह संख्या गिरकर 43,512 रह गई. प्रोपटाइगर की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि बिक्री में यह गिरावट पिछली 12 तिमाहियों में सबसे अधिक गिरावट इसी अंतिम तिमाही में ही दर्ज की गई है.
राज्यवार आंकड़े

महाराष्ट्र में गिरावट
फाइनेंशल हब मुंबई तथा पुणे, नागपुर और औरंगाबाद जैसे महानगरों के कारण महाराष्ट्र देश में सबसे बड़ा प्रॉपर्टी बाजार बना हुआ है. नोटंबदी के पिछले दो माह यानी नंवबर-दिसंबर की बात करें तो इस दौरान राज्य में स्टाम्प ड्यूटी संग्रह 25 प्रतिशत गिरकर मात्र 3067 करोड़ रुपये ही रह गया. महाराष्ट्र की स्टॉम्प ड्यूटी में यह 1036 करोड़ रुपये की गिरावट सभी राज्यों की स्टॉम्प ड्यूटी के लगभग 51 प्रतिशत गिरावट ठहरती है.
दूसरे शब्दों में बात करें तो महाराष्ट्र के रियल स्टेट मार्केट को नोटबंदी से तगड़ा झटका लगा है. प्रोपटाइगर का अनुमान है कि मुंबई में प्रोपर्टी की सेल में लगभग 20 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई और यहां बिल्डर तथा डेवलपर्स 56 माह तक की इनवेंटरी होल्ड कर रहे हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 500 और 1000 के नोटों को लीगल टेंडर के रूप में रद्द करने के बाद माना जा रहा था कि इसका सबसे तगड़ा झटका रियल स्टेट सेक्टर को लगेगा. बैंक खातों से पैसे निकालने पर लगी पाबंदियों तथा लोगों के हाथ में नकद पैसा कम होने के कारण रियल स्टेट कारोबार ठहर से गया. इस तरह से बाजार का ओवरऑल सेंटीमेंटस पिछले दो—तीन माह में नकारात्मक ही रहा, क्योंकि नोटबंदी के बाद तेजी से रियल स्टेट के दामों में गिरावट की उम्मीद में ग्राहक ने वेट एंड वॉच की रणनीति अपना ली थी.
स्टाम्प ड्यूटी के संग्रह का आंकड़ा बताता है कि रियल स्टेट को यह नुकसान सिर्फ महाराष्ट्र में ही नहीं बल्कि छोटे राज्यों जैसे बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़ और पंजाब में भी इसी प्रकार की गिरावट दर्ज की गई. स्टॉम्प ड्यूटी के संग्रह में पंजाब में 41 प्रतिशत, बिहार में 39 प्रतिशत, आंध्रप्रदेश में 26 और छत्तीसगढ़ में 24 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है.
जानकारों का मानना है कि रियल स्टेट के लिए अगली कुछ तिमाही भी चुनौतीपूर्ण रहने वाली हैं. बाजार के सेंटीमेंटस में सुधार तभी आएगा जबकि बाजार में पूर्ण रिमोनेटाइजेशन हो जाए और खरीदारों के हाथ में नकद पैसा आ जाए.
First published: 15 February 2017, 2:50 IST