स्वायत्ता पर सरकार को घेरने वाले डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य को RBI से विदा करने की तैयारी है ?

भारतीय रिजर्ब बैंक के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य (Viral Acharya) को सार्वजानिक रूप से आरबीआई की स्वायत्ता को लेकर सरकार पर निशाना साधना महंगा पड़ सकता है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार आरबीआई बोर्ड के कुछ स्वतंत्र निदेशक आचार्य की बयानबाजी से नाराज हैं. आरबीआई बोर्ड के मेंबर में एस. गुरुमूर्ति का भी नाम शामिल है. खबरें यह भी आयी थी कि गुरुमूर्ति ने डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य की टिप्पणियों को लेकर केंद्रीय बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल से शिकायत की है.
आरबीएआई की स्वायत्ता को लेकर आचार्य ने खुलकर अपने विचार रखे थे. माना जा रहा था कि आचार्य का यह बयान सरकार को एक सन्देश देने की कोशिश है. मिंट की एक रिपोर्ट की माने तो आचार्य के इस बयान से खुद आरबीआई के ही कुछ अधिकारी नाराज हैं. रिपोर्ट के अनुसार 19 नवंबर को होने वाली आरबीआई बोर्ड की बैठक में इस पर चर्चा हो सकती है.
सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक के बीच चर्चा में कुछ नहीं निकालता है तो सरकार भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम 1934 की धारा 7 को लागू कर सकती है. केंद्रीय बैंक के कम से कम 11 स्वतंत्र निदेशकों में से कम से कम चार आत्मविश्वास प्रस्ताव आचार्य के खिलाफ पेश किया जा सकता है. यदि आरबीआई अधिनियम की धारा 7 लागू की जाती है, तो केंद्रीय बैंक के पांच प्रतिनिधियों, जिसमें गवर्नर उर्जित पटेल और दो वित्त मंत्रालय के सचिवों को बोर्ड के आगे विचार-विमर्श से हटना होगा. तब स्वतंत्र निदेशक इस पर चर्चा करेंगे.
क्या कहा था विरल आचार्य ने
शीर्ष उद्योगपतियों के साथ एक भाषण में विरल आचार्य ने 2010 में अपने केंद्रीय बैंक के मामलों में अर्जेंटीना सरकार की दिक्कत का हवाला देते हुए बताया कि क्या गलत हो सकता है. उन्होंने कहा अगर सरकार केंद्रीय बैंक की आजादी का सम्मान नहीं करेगी तो उसे आर्थिक बाजारों की नाराजगी का शिकार होना पड़ेगा. इस दौरान वहां भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल भी मजूद थे और उन्होंने भाषण के लिए और सुझाव के लिए उनका धन्यवाद दिया.
सरकार ने ने हाल ही में आरबीआई को कुछ बैंकों पर अपने ऋण प्रतिबंधों को रेलक्स देने के लिए बुलाया था. मीडिया में यह भी खबरें आयी थी कि सरकार देश के पेमेंट सिस्टम के लिए एक अलग से रेगुलेटर बनाने की संभावना पर विचार कर रही है. फिलहाल से आरबीआई देखता है. आचार्य ने कहा कि केंद्रीय नियामक और पर्यवेक्षी शक्तियों में केंद्रीय बैंक के लिए प्रभावी आजादी सुनिश्चित करने की आवश्यकता है. आचार्य ने कहा, "केंद्रीय बैंक की आजादी को कमजोर करने का जोखिम संभावित रूप से विनाशकारी है.
वित्त मंत्रालय के प्रवक्ता डीएस मलिक ने शनिवार को कहा कि उन्होंने आचार्य के बयान को पढ़ा था लेकिन वरिष्ठ अधिकारियों से परामर्श किए बिना इस पर टिप्पणी करने से इंकार कर दिया. एक सरकारी सूत्र ने शुक्रवार को आचार्य के भाषण से पहले रॉयटर्स से कहा, "आरबीआई की पूरी आजादी देने की मांग को स्वीकार करने का कोई मौका नहीं है. यह हर संस्थान की तरह संसद के लिए भी उत्तरदायी है.
भारतीय रिजर्व बैंक ने 11 ऐसे राज्य संचालित बैंकों की पहचान की है जो फ़िलहाल ऋण देने के लिए प्रतिबंधित हैं जब तक कि वे अपनी बैलेंस शीट पर बैड लोन सुधार नहीं लेते. फ़िलहाल सरकार दबाव में है क्योंकि अंतरराष्ट्रीय तेल की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है.
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First published: 14 November 2018, 11:08 IST