जीडीपी ग्रोथ: कुछ आंकड़े, कुछ बाजीगरी
कैच ब्यूरो
| Updated on: 10 February 2017, 1:49 IST

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7.9
फीसदी
चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च, 2015-16) में देश की जीडीपी ग्रोथ रही.
केंद्र में एनडीए सरकार के दो वर्ष पूरे होने पर हो रहे जश्नों के बीच एक और अच्छी खबर आई है. पिछले वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) ग्रोथ अनुमान से बेहतर रही है. चौथी तिमाही में देश की जीडीपी 7.9 फीसदी रही और भारत ने विकास दर में चीन को पीछे छोड़ दिया है.
सरकार द्वारा बुधवार को जारी जीडीपी आंकड़ों के कुछ अंश:
7.9
फीसदी
- चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च, 2015-16) में देश की जीडीपी ग्रोथ रही.
- इस दौरान चीन की जीडीपी ग्रोथ 6.7 फीसदी रही, जो पिछले सात सालों की तुलना में सबसे कम है.
- वित्त वर्ष 2015-16 में जीडीपी दर 7.6 फीसदी रही.
- जीडीपी में बढ़ोत्तरी अर्थव्यवस्था के लिए शुभ संकेत है. जीडीपी की गणना चार श्रेणियों में की जाती हैं. इनमें निजी उपभोग, सरकारी खर्च, निवेश और निर्यात-आयात शामिल हैं.
77,435
रुपये
- वास्तविक प्रति व्यक्ति आय 2015-16 में हो गई.
- 2014-15 में प्रति व्यक्ति आय 72,889 रुपये थी.
- इंवेस्टोपीडिया के अनुसार, 'प्रति व्यक्ति अर्जित राशि का एक बड़ा हिस्सा एक निश्चित क्षेत्र में हैं. प्रति व्यक्ति आय से शहर, क्षेत्र या देश में रहने वाले लोगों के रहन-सहन का स्तर और जीवन की गुणवत्ता का पता चलता है.'
3.9
फीसदी
- राजकोषीय घाटा 2015-16 वित्तीय वर्ष का रहा.
- देश का राजकोषीय घाटा 2013-14 में 4.7 फीसदी और 2014-15 में 4.1 फीसदी था.
- जब सरकार का खर्च, आमदनी (जिसमें ऋण या उधार शामिल नहीं हैं) से अधिक होता है तो इस अंतर को राजकोषीय घाटा कहा जाता है.
14,56,887
करोड़
रुपये
- टैक्स संग्रह 2015-16 वित्तीय वर्ष में हुआ. 2014-15 की तुलना में यह 17 फीसदी ज्यादा है.
- इस वित्त वर्ष में टैक्स संग्रह जीडीपी का 10.7 फीसदी रहा, जबकि 2014-15 में यह दस फीसदी था.
- कृषि विकास दर का कम होना, नौकरियों की कमी, निर्यात और निवेश में कमी अब भी चिंता का विषय है.
- सरकार के खिलाफ सबसे बड़ा आरोप है कि उसने अर्थव्यवस्था को मापने का तरीका बदल दिया है.