सऊदी की सबसे बड़ी तेल कंपनी के खिलाफ सडकों पर आने की तैयारी में रत्नागिरी के किसान

सऊदी अरब की सबसे बड़ी तेल कंपनी अरामको महाराष्ट्र के रत्नागिरी के किसानों के लिए मुसीबत लेकर आयी है. सऊदी की सरकारी तेल कंपनी अरामको ने अपने विस्तार के तहत तीन भारतीय तेल कंपनियों - इंडियन ऑयल कॉर्प, हिंदुस्तान पेट्रोलियम और भारत पेट्रोलियम के साथ संयुक्त उद्यम समझौते पर हस्ताक्षर किए है.
इस समझौते के तहत रत्नागिरी में 44 अरब डॉलर की रिफाइनरी विकसित करने की योजना है. हालांकि, हजारों किसानों ने अपनी जमीन छोड़ने से इंकार कर इस परियोजना को चुनौती दे दी है.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार सऊदी की अरामको रिफाइनरी में 50 फीसदी हिस्सेदारी खरीदेगी, जिसके लिए 15,000 एकड़ भूमि की आवश्यकता होगी. इस रिफाइनरी का लक्ष्य एक दिन में 1.2 मिलियन बैरल उत्पादन करना है. रिफाइनरी के भारतीय प्रमोटरों का मानना है कि इस परियोजना के निर्माण से महाराष्ट्र सरकार की तिजोरी में 10 से 15 फीसदी का इजाफा होगा, जबकि भारत की जीडीपी 2 से 3 फीसदी तक बढेगी.
परियोजना पर 2015 से काम चल रहा है और यह भारत की तेल पूर्ति को सुरक्षित करने के लिए महत्वपूर्ण मानी जा रही है. हालांकि रत्नागिरी के किसानों को जमीन की तत्काल लागत कम लग रही है.
रिफाइनरी के लिए निर्धारित 80 फीसदी भूमि का उपयोग इन किसानों द्वारा आमों और काजू और मछुआरों द्वारा विकसित करने के लिए किया जाता है और इससे लगभग 22,000 किसान और 4,500 मछुआरों पर असर पड़ने की उम्मीद है.
रत्नागिरी क्षेत्र के 14 गांवों के किसानों ने इस परियोजना का विरोध शुरू कर दिया है. कांग्रेस जैसे विपक्षी दल इस मुद्दे पर किसानों के समर्थन में दिखाई दे रहे हैं. महाराष्ट्र में बीजेपी की सहयोगी शिवसेना ने भी इस परियोजना का विरोध किया है. गौरतलब है कि भूमि अधिग्रहण करने को लेकर लोगों का विरोध मोदी सरकार के लिए मुश्किल बनता जा रहा है, जिसमें किसान गुजरात की ऐतिहासिक बुलेट ट्रेन परियोजना भी शामिल है.
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First published: 20 May 2018, 17:06 IST