GDP डेटा के बाद अब सरकार के महंगाई दर मापने के तरीके पर उठे ये सवाल

सरकार द्वारा जारी जीडीपी डेटा पर सवाल उठने के बाद अब केंद्रीय बैंक के मौद्रिक नीति पैनल के एक सदस्य ने सरकार के महंगाई के आंकड़ों पर सवाल उठाये हैं. मौद्रिक पैनल के सदस्य रविंद्र ढोलकिया ने इकनोमिक एंड पोलटिकल वीकली में लिखा ''सरकार को कीमतों में बदलाव के तरीकों का बदलने करने की तत्काल आवश्यकता थी, जिस तरह से भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा सर्वेक्षण किया जा रहा है''.
ब्लूमबर्ग की खबर के अनुसार ढोलकिया ने कहा, "यदि कोई देश मुद्रास्फीति-लक्ष्यीकरण ढांचे को स्वीकार करता है, तो इसे मुद्रास्फीति दर को सही तरीके से मापने के बारे में बेहद गंभीर और सतर्क होना चाहिए." उन्होंने लिखा "महंगाई दर के उचित माप के बिना मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण ढांचे में बहुत अधिक वास्तविक लागत शामिल हो सकती है और नीति को प्रतिकूल बना दिया जा सकता है." यह टिप्पणी उस वक़्त आयी है जब आरबीआई ने महंगाई दर को घटाया है.
हालही में आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही के लिये खुदरा मुद्रास्फीति के अनुमान को कम कर 3.9 से 4.5 प्रतिशत कर दिया था. आरबीआई ने कहा, ‘‘वित्त वर्ष 2018-19 की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में महंगाई दर 4 प्रतिशत रहने का अनुमान है. ब्लूमबर्ग सर्वेक्षण के अधिकांश अर्थशास्त्री भविष्यवाणी करते हैं कि भारतीय रिजर्व बैंक अपनी बेंचमार्क दर 6.5 प्रतिशत पर रखेगा.
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First published: 4 December 2018, 11:53 IST