सेवाओं नहीं उपभोक्ताओं की संख्या बढ़ाने में लगी हैं टेलीकॉम कंपनियां

- दिल्ली में मोबाइल सेवाओं की गुणवत्ता को लेकर ट्राई के ऑडिट में यह बात सामने आई है कि रिलांयस कम्युनिकेशन को छोड़कर सभी टेलीकॉम सर्विसेज 2जी है.
- 3जी सेवा देने वाली वोडाफोन कॉल ड्रॉप के लिए तय किए गए बेंचमार्क को पूरा करने में विफल रही है.
- सरकार के दिशानिर्देशों के बावजूद पिछले दो सालों से टेलीकॉम कंपनियां अपनी सेवाओं में सुधार करने में विफल रही है.
सरकारें निजी क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा और बाजार की ताकतों को काम करने का मौका देती है, जिससे उपभोक्ताओं को बेहतरीन सेवाएं मिलती हैं. यह मुक्त बाजार की अर्थव्यवस्था का सबसे बड़ा प्रोपेगेंडा है.
भारत में उदारीकरण के बाद अक्सर इस सिद्धांत का जिक्र टेलीकॉम सेक्टर के लिए किया जाता है. हालांकि एनडीए सरकार को मुक्त बाजार के सिद्धांत से परेशानी हो रही है. नरेंद्र मोदी अक्सर मिनिमम गवर्मेंट और मैक्सिमम गवर्नेंस का नारा देते रहे हैं. लेकिन हकीकत यह है कि निजी कंपनियां आपसी गुटबंदी कर उपभोक्ताओं को उनकी उम्मीद के मुताबिक सेवाएं नहीं दे रही हैं.
दिल्ली में मोबाइल सेवाओं की गुणवत्ता को लेकर ट्राई के ऑडिट में यह बात सामने आई है कि रिलांयस कम्युनिकेशन को छोड़कर सभी टेलीकॉम सर्विसेज 2जी है और 3जी सेवा देने वाली वोडाफोन कॉल ड्रॉप के लिए तय किए गए बेंचमार्क को पूरा करने में विफल रही है.
यह पहली बार नहीं है जब ट्राई के ऑडिट में यह बात सामने आई हो. हकीकत में अधिकांश बड़ी टेलीकॉम कंपनियां उपभोक्ताओं को संतोषजनक सेवाएं देने में विफल रही हैं.
सरकार के दिशानिर्देशों के मुताबिक सभी टेलीकॉम कंपनियों को अपने सर्किल में कॉल ड्रॉप की दर को 2 फीसदी से नीचे रखना होता है. पिछले दो सालों से टेलीकॉम कंपनियां अपनी सेवाओं में सुधार करने में विफल रही है.
एनडीए सरकार को इस बात का एहसास हो चुका है कि टेलीकॉम कंपनियों ने आपस में सांठ-गांठ कर अपनी सेवाओं को बेहतर बनाने से बच रही हैं. वह अपनी सेवाओं में सुधार के दबाव से बच रही है जिसके लिए उन्हें इंफ्रास्ट्रक्चर में भारी निवेश करना होगा.
यही वजह रही कि टेलीकॉम कंपनियों पर प्रति कॉल ड्रॉप 1 रुपये का जुर्माना लगाने का प्रावधान किया गया. हालांकि यह दिन में अधिकतम तीन कॉल ड्रॉप के लिए ही है. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस प्रावधान को मनमाना करार देते हुए इसे खारिज कर दिया.
सरकार डिजिटल इंडिया मिशन को आगे बढ़ाने के लिए टेलीकॉम कंपनियों की सर्विसेज की गुणवत्ता में सुधार चाहती है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2020 तक 65 करोड़ इंटरनेट कनेक्शन का लक्ष्य रखा है. उनकी योजना इंटरनेट की स्पीड 2 एमबीपीएस की है. फिलहाल देश में 20 करोड़ यूजर्स है जिसकी स्पीड 512 केबीपीएस है.
टेलीकॉम कंपनियां इस मामले में खुद को असहाय बता रही है. उनका कहना है कि सरकार बेहतर सर्विसेज के लिए उन्हें पर्याप्त स्पेक्ट्रम नहीं मुहैया करा रही है. हालांकि पिछले 6 सालों के दौरान यह बात सामने आई है कि टेलीकॉम कंपनियों का ध्यान इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार करने से ज्यादा उपभोक्ताओं की संख्या बढ़ाने पर है.
इंडस्ट्र्री के आंकड़ों के मुताबिक 2010 में मोबाइल सर्विसेज का इस्तेमाल करने वाले उपभोक्ताओं की संख्या 57.4 करोड़ से बढ़कर 2015 में 97 करोड़ हो गई. लेकिन इस दौरान टावरों की संख्या में महज 33 फीसदी की बढ़ोतरी हुई.
सुप्रीम कोर्ट के कॉल ड्रॉप पर जुर्माने के प्रावधान को खारिज करने के बाद सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के महानिदेशक राजन मैथ्यूज ने कहा, 'चलिए हम अब मुख्य मुद्दों की तरफ ध्यान रखते हैं. ज्यादा मोबाइल टावर, किफायती स्पेक्ट्र्रम और इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार करते हैं.'
लेकिन यह दावा सच्चाई से परे है. ट्राई को अब इस बात का एहसास हो चुका है और उसने सरकार से ट्राई एक्ट में संशोधन करने की अनुमति मांगी है ताकि जुर्माना लगाया जा सके. सरकार को अगर वाकई में मिनिमम गवर्मेंट और मैक्सिमम गवर्नेंस की योजना को साकार करना है तो टेलीकॉम इंफ्रा में सुधार करना जरूरी है.
First published: 3 June 2016, 8:01 IST