पेट्रोल-डीजल की तुलना इंटरनेट डेटा से करने वालों को यह भी समझना होगा ?

देश में पेट्रोल और डीजल के दाम आसमान छूने के बाद लगातार सोशल मीडिया पर यह तर्क दिया जा रहा है कि जो लोग पेट्रोल डीजल की बढ़ती कीमतों पर सवाल उठा रहे हैं उन्हें यह भी सोचना चाहिए कि कैसे मोदी सरकार में इंटरनेट डेटा की कीमतों में कमी की है. कहा जा रहा है कि कांग्रेस राज में 200 रूपये में महज 1 जीबी इंटरनेट डेटा मिलता था.
तो क्या इंटरनेट डेटा और पेट्रोल की तुलना करना सही है? या इस तुलना का एक दूसरे से कोई सम्बन्ध नहीं है. अगर इंटरनेट डेटा की बात करें तो हमें यह भी देखना होगा कि टेलिकॉम सेक्टर में कंपनियों के बीच डाटा वार के बाद न सिर्फ बड़ी संख्या में टेलीकॉम सेक्टर का रोजगार गया है बल्कि सरकार की कमाई पर भी बड़ा असर पड़ा है.
एक ताजा रिपोर्ट की मानें तो टेलिकॉम सेक्टर में जियो के आने के बाद लगभग 90 हजार से ज्यादा नौकरियां चली गईं. अनिल अम्बानी की आरकॉम समेत कई छोटी कंपनियां या तो बंद हो गई या उन्हें मर्जर का सामना करना पड़ रहा है. इन सभी कंपनियों के कॉल सेंटर अन्य जगहों पर काम करने वाले लोगों का रोजगार चला गया. सरकार के बीएसएनएल और और एमटीएनएल की स्थिति वर्तमान में क्या है सभी जानते हैं.
इंटरनेट डेटा की तुलना पेट्रोल और डीजल से करने वालों को फिर यह भी सोचना पड़ेगा कि जियो के आने के बाद सरकार को टेलिकॉम सेक्टर से मिलने वाले टैक्स में भी बड़ा नुकसान उठाना पड़ा. जियो ने अपने शुरुआती छह महीनों में लगभग फ्री में इंटरनेट दिया, इसका मतलब है कि उसने कमाई नहीं की और इसका मतलब यह भी हुआ कि सरकार को इससे कोई टैक्स नहीं मिला. यही नहीं सरकार जिस स्पेक्ट्रम नीलामी से करोड़ों कमाता है इस वक़्त टेलिकॉम कंपनियां उसे खरीदने की स्थति में भी नहीं हैं.
TRAI के ही ताजा आंकड़ों की मानें तो सरकार को वर्ष 2017 में लाइसेंस फीस और स्पैक्ट्रम यूजेज चार्ज के रूप में करीब 5485 रुपए का कम टैक्स मिला है. इस दौरान टेलीकाम कंपनी की एडजेस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (AGR) में कमी दर्ज हुई है, जबकि सिर्फ Jio की यह रेवेन्यू बढ़ी.
रिपोर्ट की मानें तो सरकार को वर्ष 2017 में लाइसेंस फीस और स्पेक्ट्रम यूसेज चार्ज (SUC) के रूप में कम टैक्स मिला. खास बात यह रही है कि देश की हर टेलीकॉम कंपनी की एडजेस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (AGR) में कमी आई. लेकिन, रिलायंस जियो की आय में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई.
ट्राई की वार्षिक रिपोर्ट के मुताबिक टेलिकॉम सेक्टर की वर्ष 2017 की ग्रॉस आय में गिरावट दर्ज की गई. सेक्टर का रेवेन्यू 8.56 फीसदी घटकर 2.55 लाख करोड़ रह गया. टेलीकॉम सेक्टर का रेवेन्यू घटने से सरकार को मिलने वाले टैक्स भी घट गया. टेलीकॉम सेक्टर का ग्रॉस रेवेन्यू वर्ष 2016 में 2.79 लाख करोड़ था.
First published: 27 May 2018, 11:31 IST