छत्तीसगढ़ में तो चरखे के साथ गांधी ही नज़र आएंगे

खादी बोर्ड के कैलेण्डर में मोदी के चरखा कातने की फोटो से उठे विवाद के बीच छत्तीसगढ़ के ग्रामोद्योग बोर्ड ने मोहनदास करमचंद गांधी से अपना बरसों पुराना रिश्ता कायम रखने का फैसला किया है. बोर्ड का नया भवन जो राजधानी के कंकाली पारा में बनाया जा रहा है, वहां दो चरखों के बीच गांधी को जगह दी गई है.
बोर्ड के अध्यक्ष कृष्णा राय का कहना है कि खादी को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल गैर जरूरी नहीं है, लेकिन गांधी के बगैर खादी की कल्पना अधूरी है. राय ने कहा कि भले ही गांधी ने खादी को व्यापार का हिस्सा नहीं बनाया, लेकिन वे आज भी प्रासंगिक है.
सीएम भी कातेंगे चरखा
राय का कहना है कि छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े ब्रांड एम्बेसडर मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह है इसलिए बोर्ड के नए भवन का उद्घाटन फरवरी के अंतिम सप्ताह में मुख्यमंत्री ही करेंगे. राय ने बताया कि इस दौरान मुख्यमंत्री चरखा भी कातेंगे. उन्होंने कहा कि भवन में बुनकरों को रोजगार देने के लिए लूम के साथ-साथ गुजरात के साबरमती इलाके से खास तौर पर मंगवाए गए चरखे भी स्थापित किए जाएंगे.
राय ने कहा कि भले ही आधुनिक तकनीक के विकसित होने से कामगार चरखे से सूत नहीं कातते लेकिन छत्तीसगढ़ के विभिन्न इलाकों में अब भी 500 सौ चरखे स्थापित हैं. आगे भी रोजगार को बढ़ावा देने के लिए कामगारों को चरखों का नि:शुल्क वितरण किया जाएगा.
नेता को उपहार में मिली पांच साड़ियां
कृष्णा राय ने बताया कि भाजपा की राष्ट्रीय महासचिव सरोज पाण्डे ने बेहद कम समय में दिल्ली दरबार में अपना एक खास मुकाम बना लिया है. खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड की तरफ से उन्हें पांच साड़ी गिफ्ट में दी गई है ताकि वे देश की महिला सांसदों को यह बता सकें कि प्रदेश का कोसा सर्वश्रेष्ठ क्यों है. राय ने बताया कि साड़ी गिफ्ट में देने के बाद अब तक किसी भी सांसद की तरफ से बोर्ड को कोई ऑर्डर नहीं मिला है.
बिक्री में इजाफा नहीं
खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड के प्रबंध संचालक आलोक कटियार का कहना है कि मोदी के कैलेण्डर विवाद के बाद भी खादी की बिक्री में कोई इजाफा नहीं हुआ है. उन्होंने बताया कि हर साल बोर्ड प्रदर्शनियों और अन्य माध्यमों से लगभग 80-85 लाख रुपए की बिक्री ही कर पाता है.
वर्ष 2015-16 में 62 लाख 92 हजार की खादी बेची गई थी जबकि बांस निर्मित सामाग्री से 13 लाख 96 हजार रुपए मिले थे. कटियार ने बताया कि खादी की बिक्री में वीआईपी को दी जाने वाली छूट पर रोक लगा दी गई है जबकि स्कूली बच्चों को इस बात के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है कि वे सप्ताह में कम से कम एक दिन खादी का वस्त्र जरूर पहनें.
First published: 18 January 2017, 8:01 IST