क्या 100 जवानों की हत्या का ज़िम्मेदार माओवादी कमांडर मारा गया?

छत्तीसगढ़ में एनकाउंटर के दौरान 100 जवानों की हत्या के मास्टरमाइंड माने जाने वाले माओवादी कमांडर को गोली लगने की ख़बर है. 24 जून को सुकमा में नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन प्रहार चलाया गया था. नक्सली ठिकानों को निशाना बनाकर किए गए इस ऑपरेशन में तकरीबन एक दर्जन माओवादियों के मारे जाने की ख़बर है.
वहीं ऑपरेशन प्रहार के बाद बस्तर में 40 लाख के इनामी माओवादी कमांडर हिडमा के मारे जाने की अटकल भी लगाई जा रही है. माना जा रहा है कि 'ऑपरेशन प्रहार' के दौरान उसे भी गोली लगी है. इलाके के एक पुलिस अधिकारी ने दावा किया है कि बीजापुर मुठभेड़ में कमांडर हिडमा भी मौजूद था औऱ निश्चित रूप से क्रॉस फायरिंग के दौरान वो भी गोली का शिकार हुआ है.
कुछ खुफिया रिपोर्ट में कमांडर हिडमा के मारे जाने की भी जानकारी मिल रही है. हालांकि अभी आधिकारिक तौर पर कोई पुख्ता बयान सामने नहीं आया है. बस्तर के आईजी विवेकानंद सिन्हा के मुताबिक अभी हिडमा को लेकर पुष्टि करने में पुलिस अधिकारी जुटे हुए हैं. बिना किसी सबूत के दावा करने से बचा जा रहा है. लेकिन इतना तय है कि अगर हिडमा ऑपरेशन प्रहार के दौरान मारा गया है, तो सुरक्षाबलों के लिए बहुत बड़ी ख़बर है. इससे जवानों के मनोबल पर भी असर पड़ेगा.
#WATCH 'Operation Prahaar', joint operation by security forces to bust naxal hideouts in Chhattisgarh's Sukma (Video source:Security Forces) pic.twitter.com/vET0BiLw21
— ANI (@ANI_news) June 29, 2017
कौन है हिडमा?
हिडमा सुकमा के ही जंगरगुंडा इलाके के पालोडी गांव का रहने वाला है और उसे गुरिल्ला युद्ध में महारथ हासिल है. इससे पहले मार्च में सीआरपीएफ पर हुए हमले में भी उसी का नाम सामने आया था. सरकारी रिकॉर्ड के मुताबिक मडवी हिडमा उर्फ हिडमन्ना की उम्र 25 साल है. वह माओवादियों की दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी का सदस्य होने के साथ ही पीएलजीए की बटालियन नंबर एक का कमांडर है. दक्षिणी बस्तर के सुकमा-बीजापुर जोन में यह बटालियन सक्रिय है.
इलाके के लोग उसे हिडमालु और संतोष के नाम से भी जानते हैं. बस्तर के इस इलाके का वो मोस्ट वॉन्टेड माओवादी है. यही नहीं हिडमा पर कुल 40 लाख रुपये का इनाम भी घोषित है. गुरिल्ला लड़ाई में उसे महारथ की वजह से उसे पीपल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी (पीएलजीए) की बटालियन-1 का कमांडर बनाया गया है. इसके तहत माओवादियों की तीन यूनिट्स काम करती हैं.

कई बड़े नक्सली हमलों में वांटेड
2010 में चिंतलनार में हुए हमले के पीछे भी हिडमा का हाथ माना जाता है. इसमें 76 सीआरपीएफ जवान मारे गए थे. 2012 में आईएएस अफसर और सुकमा के कलेक्टर एलेक्स पॉल मेनन को अगवा करने में हिडमा कथित तौर पर शामिल था.
मई 2013 में दंतेवाड़ा की जीरम घाटी में कांग्रेस नेताओं के काफिले पर हमले में भी उसका नाम आया. इस हमले में सलवा जुडूम के संस्थापक महेंद्र कर्मा, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नंद कुमार पटेल और पूर्व केंद्रीय मंत्री नंद कुमार पटेल समेत 30 लोगों की मौत हो गई थी.
सुकमा का यह इलाका ओडिशा और आंध्र प्रदेश की सीमा के पास है. इससे पहले जनवरी 2017 में ख़बर आई कि हिडमा सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ के दौरान बीजापुर में मारा गया, लेकिन बाद में ये ख़बर झूठी साबित हुई.
First published: 29 June 2017, 13:12 IST