अप्रैल फूल 2017: जानिए क्यों मनाया जाता है 'मूर्खता दिवस' आैर कैसे हुर्इ इसकी शुरुआत

हर साल एक अप्रैल को मूर्ख दिवस के तौर पर मनाया जाता है. इस दिन लोग एक दूसरे को किसी ना किसी तरह से मूर्ख बनाते हैं. हालांकि इस दौरान आपके जेहन में यह सवाल उठ रहा होगा कि आखिर अप्रैल की शुरुआत हुई कैसे और यह कब से मनाया जाता है. हालांकि इसे लेकर लोग एकमत नहीं है और कई धारणाएं प्रचलित हैं. आपको अप्रैल फूल के पीछे की कहानियों से रूबरू कर रहा है.
इस तरह हुई थी अप्रैल फूल की शुरुआत:
चॉसर ने अपनी पुस्तक कैंटरबरी टेल्स में अप्रैल फूल की शुरुआत के बारे में लिखा है. इसमें बताया गया है कि 13वीं सदी में इंग्लैंड के राजा रिचर्ड सेकेंड और बोहेमिया की रानी एनी की सगाई हुई थी. सगाई के आयोजन की घोषणा कर तारीख 32 मार्च 1381 रखी गई और कैंटरबरी की जनता ने इसे सही भी मान लिया. जबकि 32 मार्च तो होता ही नहीं है. इस तरह लोग मूर्ख बन जाते हैं. पश्चिम से शुरू हुआ यह दिवस आज हर देश में मनाया जाता है.
कुछ लोगों का मानना है कि 1582 में नए कैलेंडर का आविष्कार हुआ. इसके पहले के कैलेंडर के अनुसार एक अप्रैल से नए साल की शुरुआत होती थी. इस दिन लोग एक दूसरे को जोक्स भेज कर और उनके साथ प्रैंक करके उन्हे बेवकूफ बनाते थे। इस गेम में जब सामने वाला बेवकूफ बन जाता है तो उसे अप्रैल फूल के नाम से संबोधित किया जाता है. तभी से ये ट्रेंड पूरी दुनिया में प्रसिद्ध हो गया.
भारतीय मान्यता:
माना जाता है कि पहले संपूर्ण विश्व में भारतीय कैलेंडर की मान्यता थी. नया साल चैत्र मास यानी अप्रैल से शुरू होता था। 1582 में पोप ग्रेगोरी ने नया कैलेंडर लागू करने के लिए कहा और नया साल अप्रैल के बजाय जनवरी में मनाए जाने लगा. ज्यादातर लोगों ने नए कैलेंडर को मान लिया. हालांकि, कुछ लोगों ने इससे इंकार कर दिया और चैत में ही नया साल मनाने लगे और उन्हें मूर्ख कहा जाने लगा.