Happy Holi 2018: 28 साल बाद आया होली का ऐसा मुहूर्त, जानिए कैसे करें पूजा

होली का त्यौहार बहुत ही उत्साह के साथ मनाया जाता है. होली दो दिन मनाई जाती है. एक दिन होलिका दहन और एक दिन रंगों का उत्सव. इस बार 28 साल बाद होली पर बेहद दुर्लभ संयोग बन रहा है. होलिका दहन का शुभ मुहूर्त शाम 6:26 से 8:55 तक रहेगा. इससे पहले भद्रकाल रहेगा, उस दौरान होलिका दहन का पूजन नहीं करना चाहिए.
पूर्णिमा के साथ ही भद्रा भी लगा रही है. भद्र और प्रतिपदा में होलिका दहन नहीं किया जाता है. भद्रा काल में होलिका दहन करने से अनिष्ट होने का भय रहता है, पर शाम 7 बजकर 40 मिनट पर भद्रा समाप्त हो जाएगी. इसके बाद से होलिका दहन किया जाना शुभ रहेगा. इस बार की होली पर शनि धनु राशि में रहेगा. वहीं 28 वर्षों के बाद शनि देवगुरु बृहस्पति की राशि में है. इससे पहले यह 1990 में योग बना था.

कैसे करें होलिका दहन की पूजा
1. होलिका दहन जहां करना है, वहां पूर्व या उत्तर दिशा की ओर चेहरा कर के बैठ जाएं.
2. पूजा सामग्री के लिए अपने पास जल, माला, रोली, चावल, गंध, पुष्प, कच्चा सूत, गुड़, साबुत हल्दी, मूंग, बताशे, गुलाल, नारियल आदि रखें. इसके अलावा नई फसल का कुछ हिस्सा गेहूं या चना की बालियां भी रखें.

3. होलिका के पास गोबर से बनी ढाल और दूसरे खिलौने रख दिए जाते हैं.
4. घर से जल, मौली, फूल, गुलाल, ढाल और खिलौनों की चार मालाएं अलग से घर से लाकर रख लें.
5. इसमें एक माला पितरों के नाम की, दूसरी हनुमानजी, तीसरी माला शीतलामाता और तीसरी माला अपने घर-परिवार के नाम की होती है.
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6. होलिका की तीन या सात परिक्रमा करते हुए कच्चे सूत से लपेटें.
7. कच्चे सूत से लपेटने के बाद जल व अन्य पूजन सामग्री को एक-एक कर होलिका को समर्पित करें.
8. पंचोपचार विधि से होलिका का पूजन करने के बाद जल का अर्घ्य दें.
9. होलिका दहन के बाद उसमें कच्चे आम, नारियल, भुट्टे, चीनी के बने खिलौने, नई फसल का कुछ भाग अर्पित किया जाता है.
10. होलिका दहन के बाद उसकी भस्म लाकर घर में रखना शुभ होता है.