Happy New Year: दुनिया का एकलौते देश है भारत, जहां साल में 5 बार मनाया जाता है न्यू ईयर

पूरी दुनिया में नया साल बड़ी धूम धाम से मनाया जाता है. हर देश में नए साल मनाने की अलग अलग परम्पराएं हैं. हर देश अलग अंदाज में नया साल मनाता है. लेकिन इस मामले में भारत ने सबको पीछे छोड़ दिया है. भारत ने नया साल मनाने में भी रिकॉर्ड कायम किया है. देश में अलग अलग-अलग जगहों पर अलग अलग तरीकों से नया साल मनाया जाता है. कहीं पर धूम-धाम से नाच गाने के साथ नया साल मनाते हैं तो कहीं पर नए साल की शुरुआत पूजा अर्चना के साथ की जाती है.
लेकिन फिर भी पूरी दुनिया में 1 जनवरी को नया साल मनाया जाता है. वहीं भारत में नया साल एक ही वर्ष में पांच बार मनाया जाता है. आइये हम बताते हैं कि भारत में ऐसा अजूबा कैसे होता है.
ईसाई नववर्ष 1 जनवरी से
भारत समेत पूरी दुनिया में 1 जनवरी से नए साल की शुरुआत होती है. लेकिन अगर नए साल मनाने के इतिहास को देखें तो पहली बार 1582 में नया साल मनाना शुरू हुआ. इस ईसाई कैलेंडर का नाम ग्रिगोरियन कैलेंडर है. इसके बारे में कि जूलियस सीजर ने ईसा पूर्व 45वें वर्ष में जूलियन कैलेंडर बनाया. तभी से 1 जनवरी को नया साल मनाना शुरू हुआ.

पारसी नववर्ष
भारत में पारसी समुदाय नवरोज से नया साल मनाता है. पारसी धर्म में नया साल नवरोज उत्सव के रूप में बड़ी धूम धाम से मनाया जाता है. आमतौर पर पारसियों का ये नया साल 19 अगस्त को नवरोज से शुरू माना जाता है. इसकी शुरुआत 3000 वर्ष पूर्व शाह जमशेदजी ने की थी.
पंजाबी नववर्ष
वहीं अगर बात पंजाब की करें तो पंजाब में नया साल वैशाखी के दिन मनाया जाता है. वैशाखी के पर्व को नया साल मानते हुए पंजाब में इसकी धूम रहती है. वैशाखी अप्रैल माह में आती है. ये नया साल सिख नानकशाही कैलेंडर के अनुसार मनाया जाता है.
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हिंदू नववर्ष
वहीं भारत में हिंदू समुदाय के लोग नववर्ष का प्रारंभ चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा से भी मानते हैं. इसे हिन्दू नववर्ष के नाम से भी जाना जाता है. इसे नया संवत भी कहते हैं. हिन्दू धर्म में ऐसी मान्यता है कि भगवान ब्रह्मा ने इसी दिन से पूरी सृष्टि की रचना की शुरुआत की थी. अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार ये दिन अप्रैल माह में आता है. वही हिन्दू कलंदर के अनुसार ये नव वर्ष चैत्र माह में आता है. इसे गुड़ी पड़वा, उगादी आदि नामों से भारत के अन्य कई क्षेत्रों में भी मनाया जाता है.
जैन नववर्ष
वहीं अगर जैन समुदाय की बात करें तो जैन नववर्ष दीपावली के अगले दिन से शुरू होता है. इसे जैन समुदाय में वीर निर्वाण संवत भी कहा जाता है. जैन समुदाय के लोग इसी दिन से अपना नया साल मानते हैं.