क्या आपको मालूम है छठ पर्व के पीछे छिपा वैज्ञानिक रहस्य?

संस्कृत में षष्टी तिथि को छठ कहा जाता है, यह पर्व दीपावली के बाद आता है. यह चार दिवसीय उत्सव है जिसमें पवित्रता और तपस्या का बहुत महत्व है. पर्व की शुरुआत चतुर्थी को होती है.
इस तिथि को नहाय-खाय के रूप में मनाया जाता है. इसके बाद निरंतर 36 घंटे का उपवास रखना होता है. जो यह व्रत करता है उसे तन-मन की शुद्धि का ध्यान रखना होता है.
कैसे करते हैं पूजा?
इस पर्व में जलाशय में खड़े होकर भगवान सूर्य को अर्घ्य देते हैं. इस दौरान जल, दुग्ध तथा प्रसाद अर्पित किया जाता है. छठ के व्रत में मन तथा इंद्रियों पर नियंत्रण रखना होता है. जल में खड़े होकर सूर्यदेव को अर्घ्य देने का भी खास महत्व है.
वैज्ञानिक रहस्य
चूंकि दीपावली के बाद सूर्यदेव का ताप पृथ्वी पर कम पहुंचता है. इसलिए व्रत के साथ सूर्य की अग्नि के माध्यम से ऊर्जा का संचय किया जाता है, ताकि शरीर सर्दी में स्वस्थ रहे.
इसके अलावा सर्दी आने से शरीर में कई परिवर्तन भी होते हैं. खास तौर से पाचन तंत्र से संबंधित परिर्वतन. छठ पर्व का उपवास पाचन तंत्र के लिए लाभदायक होता है. इससे शरीर की आरोग्य क्षमता में वृद्धि होती है.
जब उपवास, सूर्यदेव को अर्घ्य और जलाशय में पूजन करते हैं, तो शरीर की जीवनी शक्ति ज्यादा मजबूत होती है. वह इन द्रव्यों का निष्कासन करने से स्वस्थ होता है.
ज्योतिष के अनुसार, अगर कुंडली में किसी ग्रह का दोष हो और छठ पूजा में सूर्य का पूजन किया जाए तो उसका निवारण होता है. साथ ही सूर्य को अर्घ्य देने से भाग्योदय की प्राप्ति होती है.
आपको बता दें कि बिना डाला या सूप पर अर्घ्य दिए छठ पूजा पूरी नहीं होती है- शाम को अर्घ्य को गंगा जल के साथ देने का प्रचलन है, जबकि सुबह के समय गाय के दूध से अर्घ्य दिया जाता है.
सूर्य को अर्घ्य देते समय इन 4 बातों का जरूर ध्यान रखना चाहिए
1. तांबे के पात्र में दूध से अर्घ्य नहीं देना चाहिए.
2. पीतल के पात्र से दूध का अर्घ्य देना चाहिए.
3. चांदी, स्टील, शीशा और प्लास्टिक के पात्रों से भी अर्घ्य नहीं देना चाहिए.
4. पीतल और तांबे के पात्रों से अर्घ्य प्रदान करना चाहिए.
अर्घ्य के सामानों का महत्व
सूप: अर्ध्य में नए बांस से बनी सूप और डाला का प्रयोग किया जाता है. सूप से वंश में वृद्धि होती है और वंश की रक्षा भी.
ईख: ईख आरोग्यता का सूचक है.
ठेकुआ: ठेकुआ समृद्धि का सूचक है.
मौसमी फल: मौसम के फल ,फल प्राप्ति के सूचक हैं.