धनपत राय से कैसे 'मुंशी' बन गए प्रेमचंद, उनकी कलम से डरती थी अंग्रेज हुकूमत

जीवन के यथार्थ को अपनी लेखनी से पिरोने वाले महान कहानीकार मुंशी प्रेमचंद आज के ही दिन साल 1939 में दुनिया को अलविदा कह गए लेकिन उनकी महान कृतियां आज तक लोगों को जिंदगी की सच्चाई के आईने दिखा रही है. प्रेमचंद अपने कलम से जिन किरदारों को रच देते थे वो जीवंत हो जाते थे ऐसा लगता था वे किरदार हमारे आस-पास के ही हैं और हम उन्हें वर्षों से जानते हों. सिर्फ भारत, बल्कि दुनियाभर के कई भाषओं में उनके रचनाओं का अनुवाद किया गया. मुंशीजी पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा पसंद किए जाने वाले कथकारों में से एक हैं.
अपनी रचना गबन, गोदान, पूस की रात, बड़े घर की बेटी, बड़े भाईसाहब, शतरंज के खिलाड़ी जैसी कहानियों से प्रेमचंद ने हिंदी साहित्य को एक नई ऊंचाई पर पहुंचाया है. समाज में अमीरी-गरीबी की खाई को उन्होंने इतना जीवंत और खूबसूरती के दर्शाया कि किसी के दिल को छू जाए.

प्रेमचंद का जन्म 31 जुलाई, 1880 को बनारस के पास लमही नामक गांव में हुआ था उनका असली नाम धनपत राय था. अपने मित्र मुंशी दयानारायण निगम के सलाह पर उन्होंने धनपत राय के स्थान पर अपना उपनाम प्रेमचंद रख लिया. उनके पिता का नाम मुंशी अजायब लाल था, वे डाकघर में मुंशी थे.
प्रेमचंद जब 6 वर्ष के थे, तब उन्हें एक मौलवी के घर फारसी और उर्दू पढ़ने के लिए भेजा गया. छोटी उम्र में ही बीमारी के कारण इनकी मां का स्वर्गवास हो गया. लेकिन उनकी बड़ी बहन उन्हें मां की कमी का अहसास नहीं होने दिया. बहन की शादी के बाद वह अकेले हो गए. अकेलेपन में उन्होंने खुद को कहानियां पढ़ने में व्यस्त कर लिया और कहानियों में इतना रम गए कि आगे चलकर खुद कहानियां लिखने लगे और महान कथाकार बने.
प्रेमचंद का विवाह 15-16 साल में ही कर दिया गया लेकिन कुछ समय बाद ही उनकी पत्नी का देहांत हो गया. फिर उन्होंने बनारस के बाद चुनार के स्कूल में शिक्षक की नौकरी की और साथ ही साथ बीए की पढ़ाई भी. तत्पश्चात उन्होंने एक बाल विधवा शिवरानी देवी से विवाह किया. ,शिवरानी देवी ने प्रेमचंद की जीवनी लिखी थी.

साल 1910 में उन्होंने सोजे-वतन (राष्ट्र का विलाप) की रचना की इसके लिए हमीरपुर के जिला कलेक्टर ने प्रेमचंद पर जनता को भड़काने का आरोप लगाया और उनकी सोजे-वतन की सभी प्रतियां जब्त कर नष्ट कर दी गई.
प्रेमचंद की पहली हिन्दी कहानी 1915 में सरस्वती पत्रिका के दिसम्बर अंक में में ''सौत'' नाम से प्रकाशित हुई. प्रेमचंद्र ने लगभग 300 कहानियां और चौदह बड़े उपन्यास लिखे. सन् 1935 में वे बहुत बीमार पड़ गए और 8 अक्टूबर 1936 को 56 वर्ष की उम्र में उनका निधन हो गया.
अपनी रचना गबन, गोदान से लेकर पूस की रात, बड़े घर की बेटी, बड़े भाईसाहब, शतरंज के खिलाड़ी जैसी कहानियों से प्रेमचंद ने हिंदी साहित्य को एक नई ऊंचाई पर पहुंचाया है. समाज में अमीरी-गरीबी की खाई को उन्होंने इतना जीवंत और खूबसूरती के दर्शाया कि किसी के दिल को छू जाए.
साल 1910 में उन्होंने सोजे-वतन (राष्ट्र का विलाप) की रचना की इसके लिए हमीरपुर के जिला कलेक्टर ने प्रेमचंद पर जनता को भड़काने का आरोप लगाया और उनकी सोजे-वतन की सभी प्रतियां जब्त कर नष्ट कर दी गई.
प्रेमचंद की पहली हिन्दी कहानी 1915 में सरस्वती पत्रिका के दिसम्बर अंक में में ''सौत'' नाम से प्रकाशित हुई. प्रेमचंद्र ने लगभग 300 कहानियां और चौदह बड़े उपन्यास लिखे. सन् 1935 में वे बहुत बीमार पड़ गए और 8 अक्टूबर 1936 को 56 वर्ष की उम्र में उनका निधन हो गया.
अपनी रचना गबन, गोदान से लेकर पूस की रात, बड़े घर की बेटी, बड़े भाईसाहब, शतरंज के खिलाड़ी जैसी कहानियों से प्रेमचंद ने हिंदी साहित्य को एक नई ऊंचाई पर पहुंचाया है. समाज में अमीरी-गरीबी की खाई को उन्होंने इतना जीवंत और खूबसूरती के दर्शाया कि किसी के दिल को छू जाए.
First published: 8 October 2018, 15:55 IST