राजेंद्र कुमार: केजरीवाल के खिलाफ बयान देने के लिए CBI ने डाला दबाव

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के पूर्व प्रधान सचिव और कथित रूप से भ्रष्टाचार का आरोप में फंसे राजेन्द्र कुमार ने सीबीआई पर प्रताड़ना का आरोप लगाया है.
वरिष्ठ आईएएस अधिकारी राजेन्द्र कुमार ने स्वैच्छित सेवानिवृत्ति (वीआरएस) मांगते हुए सीबीआई पर प्रताड़ना और झूठ बोलने के लिए दबाव बनाने का आरोप लगाया है. राजेन्द्र कुमार ने 12 पेज का एक पत्र भी लिखा है. 12 पेज के इस पत्र में राजेन्द्र कुमार ने सीबीआई पर कई गंभीर आरोप लगाये हैं.
राजेन्द्र कुमार ने आरोप लगाया है कि सीबीआई ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ बयान देने के लिए उन पर दबाव डाला था. राजेन्द्र का आरोप है कि सीबीआई ने कहा था कि अगर वह केजरीवाल के खिलाफ बयान दे देंगे तो उन्हें छोड़ दिया जाएगा.
राजेन्द्र ने पत्र में लिखा है कि सीबीआई ने उन्हें और मुख्यमंत्री को फंसाने के लिए कई लोगों पर दबाव डाला और बहुत से लोगों की पिटाई भी की.
पत्र में राजेन्द्र कुमार ने लिखा कि ये सब होने और देखने के बाद उनका पूरे सिस्टम पर से विश्वास उठ गया है और वे रिटायरमेंट लेना चाहते हैं.
गौरतलब है कि सीबीआई ने कथित भ्रष्टाचार मामले के संबंध में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के तत्कालीन प्रधान सचिव और निलंबित आइएएस अधिकारी राजेंद्र कुमार के खिलाफ 19 दिसंबर को 2016 को आरोपपत्र दायर किया था.
आरोप पत्र में कहा गया कि वर्ष 1989 बैच के आइएएस अधिकारी, आठ अन्य तथा ‘एंडिएवर सिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड' पर भारतीय दंड संहिता के तहत आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी और फर्जीवाड़े तथा भ्रष्टाचार रोकथाम कानून की विभिन्न धाराओं के तहत आरोप लगाया गया है.
इस मामले में सीबीआई की ओर से राजेंद्र कुमार के साथ-साथ केजरीवाल के कार्यालय में पूर्व उपसचिव तरुण शर्मा, करीबी सहयोगी अशोक कुमार और एक पीएसयू के प्रबंध निदेशक आरएस कौशिक के अलावा इएसपीएल के सह मालिक संदीप कुमार और कौशिक के पूर्वाधिकारी एवं दिल्ली सरकार के उपक्रम ‘इंटेलीजेंट कम्युनिकेशन सिस्टम्स इंडिया लिमिटेड' के पूर्व प्रबंध निदेशक जीके नंदा को भी आरोपपत्र में आरोपी बनाया गया.
सीबीआई ने प्राथमिकी में आरोप लगाया गया कि आरोपी व्यक्तियों ने अपराधिक साजिश रचकर 2007 से 2015 के बीच ठेके देने में दिल्ली सरकार के राजस्व को 12 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाया.
इसके अलावा सीबीआई की प्राथमिकी में यह भी कहा गया कि अधिकारियों ने ठेके देने में तीन करोड़ रुपये से अधिक का ‘अनुचित लाभ' भी कमाया है.