सुप्रीम कोर्ट ने NEET पीजी कोर्स में कोटा सिस्टम पर अपना फैसला सुरक्षित रखा

सुप्रीम कोर्ट ने NEET (National Eligibility-cum-Entrance Test) में सीटों के आवंटन के मुद्दे पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. सर्वोच्च न्यायालय ने राज्यों को आवंटित 50 फीसदी सीटों के संबंध में पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल कोर्सेस में प्रवेश के लिए वर्तमान आरक्षण प्रणाली को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई की. इस याचिका में मेडिकल काउंसिल ऑफ़ इंडिया की सीटों के आवंटन नीति को चुनौती दी गई थी.
तमिलनाडु मेडिकल ऑफिसर्स एसोसिएशन और अन्य मेडिकल स्टूडेंट्स ने 'पीजी मेडिकल एजुकेशन रेगुलेशन' में कुछ संशोधन करने की मांग की है. अभी तक मेडिकल काउंसिल ऑफ़ इंडिया ने ये प्रावधान किया है कि पीजी कोर्स में एडमिशन के लिए सुदूर ग्रामीण इलाके में पोस्टेड सरकारी डॉक्टरों को कोटे या प्रोत्साहन अंक (incentive Marks) प्रदान किये जायेंगे.
पीजी मेडिकल एजुकेशन रेगुलेशन 9(IV) के अनुसार कि PG कोर्स में दाखिला संबंधित वर्गों के लिए मेडिकल कॉलेजों में सीटों का आरक्षण राज्य सरकार द्वारा लागू कानूनों के अनुसार होगा और योग्य उम्मीदवारों की मेरिट लिस्ट ऑल इंडिया और राज्य-स्तर पर तैयार की जाएगी. इसके बाद NEET में उनके द्वारा प्राप्त अंकों के आधार पर मेडिकल में PG कोर्स के लिए एडमिशन की फाइनल योग्यता सूची बनाई जाएगी.
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यह रेगुलेशन आगे बताता है कि सरकारी डॉक्टरों को सुदूर ग्रामीण इलाकों या मुश्किल क्षेत्रों में अपनी सेवा के प्रत्येक वर्ष 10 फीसदी अंक तक प्रोत्साहन के रूप में वेटेज दिया जा सकता है जो कि NEET में प्राप्त अंकों का अधिकतम 30 प्रतिशत होगा. जबकि सरकारी डॉक्टरों के लिए पीजी पाठ्यक्रमों में 50 फीसदी आरक्षण तय है.
तमिलनाडु मेडिकल ऑफिसर्स एसोसिएशन के वकील अरविंद डाटर ने कोर्ट में विभिन्न निर्णयों और संवैधानिक फैसले का हवाला देते हुए कहा कि एक राज्य सरकार को उम्मीदवारों को 50 फीसदी सीट आवंटित करने का अधिकार दिया गया है.
सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई 5 जजों की बेंच कर कर रही है. इस पांच सदस्यीय खंडपीठ में मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, जस्टिस ए के सिकरी, एएम खानविलकर, डीवाई चंद्रचुद और अशोक भूषण हैं. कोर्ट ने इस मुद्दे पर सभी पक्षों; केंद्र सरकार, एमसीआई, तमिलनाडु मेडिकल ऑफिसर्स एसोसिएशन, केरल और हरियाणा सरकार की दलीलें सुनी. इस मामले से जुड़े सभी पहलुओं को सुनकर कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है.
First published: 19 April 2018, 17:59 IST