12 मंजिल चढ़कर पद्म भूषण मांगने पहुंची आशा पारेख

केंद्रीय सड़क और परिवहन मंत्री नितिन गडकरी के एक बयान से विवाद पैदा हो गया है. उन्होंंने दावा किया है कि बीते जमाने की चर्चित अभिनेत्री आशा पारेख उनके पास पद्म भूषण पुरस्कार के लिए सिफारिश करवाने आई थीं.
यही नहीं उन्होंने कहा कि जब आशा पारेख उनके घर आई थीं, उस समय उनकी लिफ्ट खराब थी. इसके बावजूद वो पद्म भूषण की सिफारिश करने के लिए 12 मंजिल तक सीढिय़ां चढ़कर पहुंचीं.
गडकरी के मुताबिक वह इससे काफी हैरान थे. एक कार्यक्रम के दौरान गडकरी ने बताया कि आशा पारेख ने उनसे कहा कि उन्हें पद्मश्री मिल चुका है लेकिन उनके योगदान को देखते हुए उन्हें पद्म भूषण भी मिलना चाहिए. वे इसकी हकदार हैं.
एक कार्यक्रम में बोलते हुए गडकरी ने कहा कि इन दिनों पद्म पुरस्कार ‘सिरदर्द' बन गये हैं. गडकरी ने बताया की जब पारेख ने उनसे कहा कि मुझे पद्मश्री मिला है लेकिन मेरे योगदान को देखते हुए पद्म भूषण मिलना चाहिए. तब मैंने उनसे कहा कि पद्मश्री भी पद्म भूषण जैसा ही है. लेकिन पैरेख ने कहा ‘नहीं'.
अपनी बात के समर्थन में उन्होंने कहा कि इतनी सारी फिल्मों में काम करने के बाद वे इसकी हक़दार हैं. आशा पारेख हिंदी फिल्म जगत का प्रतिष्ठित नाम हैं. उन्हें फिल्मफेयर का लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड भी मिल चुका है.
भारत रत्न और पद्म विभूषण के बाद पद्म भूषण तीसरा शीर्ष नागरिक सम्मान है और यह पद्मश्री से बड़ा है.
आशा पारेख को 1992 में पद्श्री अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था जबकि 2014 में उन्हें लाइफ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड मिला था.
आशा पारेख ने एक बयान जारी किया है कि ऐसी कोई बात नहीं हुई थी.
1952 में फिल्म 'आसमान' में बतौर बाल कलाकार शुरुआत के बाद पारेख ने कई सुपरहिट फिल्में दीं. 1959 से 1973 तक वह हिंदी फिल्मों की शीर्ष अभिनेत्रियों में से एक थीं. उन्होंने अपने समय के शीर्ष अभिनेताओं जैसे शम्मी कपूर, राजेंद्र कुमार, राजेश खन्ना एवं अन्य अभिनेताओं के साथ काम किया.