निर्दोष सिखों का एनकाउंटर करने वाले 47 पुलिसकर्मियों को उम्रकैद

विशेष सीबीआई अदालत ने 25 साल पहले उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले में 10 निर्दोष सिख युवकों की निर्दयतापूर्वक हत्या करने वाले 47 पुलिसवालों को उम्रकैद की सजा सुनाई है.
सीबीआई की विशेष अदालत ने शनिवार को 47 पुलिसकर्मियों को दोषी करार दिया था.इस हत्याकांड में कुल मिलाकर 57 पुलिसवालों को नामजद किया गया था, लेकिन मामले की सुनवाई के दौरान इनमें से 10 की मौत हो गई.
कोर्ट का फैसला
सीबीआई कोर्ट के जज लल्लू सिंह ने अपने आदेश में कहा कि 12 जुलाई, 1991 को एक बस नानकमत्था से लौट रही थी, जिसमें 25 सिख तीर्थयात्री सवार थे. पुलिसवालों ने इस बस को रुकवाया और उनमें से 10 युवाओं को नीली बस में अपने साथ ले गए. इनको पूरा दिन बस में घुमाया गया और उसके बाद तीन गुटों में बांट दिया गया. दो गुटों में चार-चार युवाओं को रखा गया जबकि तीसरे गुट में दो युवाओं को. जज ने अपने आदेश में कहा कि इसके बाद इन्हें अलग-अलग थाना क्षेत्रों के जंगलों में ले जाया गया और उन्हें गोली मार दी गई.
इन लोगों की हत्या बिलसंदा पुलिस स्टेशन के फागुनईघाट, न्यूरिया पुलिस स्टेशन के धमेला कौन और पुराणपुर पुलिस स्टेशन के पट्टाबोझी जंगल में की गई थी.
सुप्रीम कोर्ट ने हत्याकांड की जांच सीबीआई को सौंपी
सीबीआई के अधिवक्ता एससी जायसवाल के मुताबिक मामले की शुरुआती जांच यूपी पुलिस ने की. लेकिन उसने जांच कम लीपापोती ज्यादा की. पुलिस की तरफ से तीन पुलिस थानों में दर्ज मामलों के संबंध में अंतिम रिपोर्ट दाखिल करने के बाद एक अधिवक्ता आरएस सोढी ने सुप्रीम कोर्ट में इन हत्याओं के खिलाफ एक जनहित याचिका दायर की थी. उस जनहित याचिका के आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने 15 मई, 1992 को मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी.
पीलीभीत के वरिष्ठ राजनेता वीएम सिंह ने इस फैसले पर ईश्वर को धन्यवाद देते हुए उस समय की घटनाओं को याद करते हैं. तब यूपी में कल्याण सिंह की सरकार थी. उन्होंने तब अपने पुलिसकर्मियों के काम को सही ठहराते हुए मारे गए निर्दोष युवकों को आतंकवादी करार दिया था.
उन्होंने कहा, 'पकड़ने के बाद पीलीभीत जेल में नौ युवकों को कथित उग्रवादी बताकर मार दिया गया था. यह उन दिनों पुलिस की क्रूरता का उदाहरण मात्र है. उन्होंने कहा कि ऐसी क्रूरता दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही थी.' वीएम सिंह आगे बताते हैं, “यहां तक कि उस समय के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) प्रकाश सिंह ने भी पुलिस कार्रवाई का समर्थन किया था.”
अकाली दल ने जताया आभार
प्रकाश सिंह से जब इस बाबत बात करने की कोशिश की गई तो वे इस बात को लेकर सुनिश्चित नहीं थे कि उन्होंने डीजीपी का पद इस घटना से पहले संभाला था या बाद में.
उत्तर प्रदेश शिरोमणि अकाली दल ने ईमानदारी से की गई जांच और हत्यारों को दोषी ठहराने के लिए कोर्ट और सीबीआई का आभार जताया है. यूपी शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष कुलदीप सिंह ने कहा, “25 साल बहुत लंबा समय होता है, लेकिन अपराधियों को अंजाम तक पहुंचाने के लिए हम उन सबका आभार जताते हैं.”
उन्होंने कहा कि वे अब सरकार से गुहार लगाएंगे कि वह शोक संतप्त पीड़ित परिवारों की नुकसान भरपाई करे.