उत्तराखंड से आंध्र प्रदेश भेजे गए न्यायाधीश केएम जोसेफ से जुड़ी कुछ खास बातें

मंगलवार को उत्तराखंड हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश केएम जोसेफ का आनन फानन में तबादला कर दिया गया. उन्हें अब आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश बनाया गया है.
सुप्रीम कोर्ट के पांच वरिष्ठतम जजों की कमेटी (कोलेजियम) हाईकोर्ट के जजों की नियुक्ति व तबादले का फैसला करती है. हालांकि मुख्य न्यायाधीश जोसेफ के तबादले की टाइमिंग को लेकर सवाल उठने लगे हैं.
पिछले महीने न्यायाधीश जोसेफ उस वक्त सुर्खियों में आ गए थे जब उन्होंने केंद्र सरकार द्वारा उत्तराखंड में लगाए राष्ट्रपति शासन को हटाकर हरीश रावत को फिर से मुख्यमंत्री बनने का रास्ता सुनिश्चित कर दिया था.
न्यायाधीश जोसेफ और वीके बिष्ट की खंडपीठ ने अपने फैसले में कहा था, 'केंद्र की ओर से राज्य में धारा 356 का इस्तेमाल सुप्रीम कोर्ट की ओर से निर्धारित नियम के खिलाफ है.'
अपने फैसले में न्यायाधीश जोसेफ ने केंद्र सरकार को कड़ी फटकार लगाई थी. जोसेफ ने कहा था कि इस देश में कोई सर्वशक्तिमान नहीं है और राष्ट्रपति भी राजा नहीं हैं. अदालत के अनुसार राष्ट्रपति ही नहीं जज भी गलती कर सकते हैं और इनके फैसलों को अदालत में चुनौती दी जा सकती है.
जोसेेफ से जुड़ी सात बातें:
- केएम जोसेफ सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज केके मैथ्यू के बेटे हैं. केके मैथ्यू द्वितीय प्रेस आयोग के अध्यक्ष और लॉ कमीशन के चेयरमैन रह चुके हैं.
57 साल के जोसेफ ने अपनी पढ़ाई दिल्ली, कोच्चि और चेन्नई के केंद्रीय विद्यालय से की है. मूल रूप से केरल के रहने वाले जोसेफ ने कानून की पढ़ाई गवर्मेंट लॉ कॉलेज, एर्नाकुलम से की.
इन्होंने 1982 में दिल्ली में वकालत की प्रैक्टिस शुरू की थी. इसके एक साल बाद उन्होंने केरल हाईकोर्ट में वकालत की प्रैक्टिस शुरू कर दी.
केरल हाईकोर्ट में 22 साल वकालत करने के बाद उन्हें 2004 में केरल हाईकोर्ट में जज नियुक्त किया गया.
दस साल तक केरल हाईकोर्ट में जज रहने के बाद जुलाई, 2014 में जोसेफ ने उत्तराखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के तौर पर कार्यभार संभाला.
जोसेफ सादगी भरा जीवन जीने के लिए जाने जाते हैं. उनके साथी और अब रिटायर हो चुके एक जज के मुताबिक एक बार जोसेफ साइकिल चलाकर केरल हाईकोर्ट पहुंच गए थे.
जोसेफ संवैधानिक मामलों का खूब अध्ययन करते हैं. उनकी छवि एक पढ़ाकू और ईमानदार जज की है.