आजादी के 70 सालः इन संस्थानों ने रखी आधुनिक भारत की आधारशिला

पूरा देश अपना 70वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है. आजादी का यह सफर जितना लंबा रहा उतना ही कठिन भी. पंडित जवाहर लाल नेहरू ने जब से स्वतंत्र भारत का पहला झंडा फहराया, लोगों के सपने, इच्छाओं और उम्मीदों में काफी हद तक बदलाव आया है.
इस सफर में कुछ संस्थानों की भूमिका महत्वपूर्ण रही जो नवाचारों, पहल और कौशल के जनक रहे. ये वे संस्थान हैं, जिन्होंने पूरे देश के नजरिये और योग्यता को एक सांचे में ढाला है और उन लोगों के दिमाग को पोषित किया है, जिन्होंने स्वतंत्र भारत की प्रगति में कई तरह से योगदान किया है. आइए नजर डालें उन संस्थानों पर जो आजादी के बाद बने और भारत को एक सार्थक भविष्य प्रदान किया:
जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (स्थापना-1969)
सक्रिय राजनीति और शानदार शैक्षणिक कार्य प्रणाली वाले जेएनयू ने देश को कई प्रतिभावान और विख्यात शख्सियतें दी, इनमें कई पूर्व और वर्तमान राजनेता, पत्रकार, इतिसकार, लेखक, साहित्यकार और सामाजिक कार्यकर्ता शामिल हैं.
इंडियन इंस्टीट्यूट आॅफ टेक्नोलाॅजी (स्थापना-1950)
देश की आईआईटी को यूं ही ‘राष्ट्रीय महत्व के संस्थान’ नहीं कहा जाता. इंजीनियरिंग के क्षेत्र में कुछ कर दिखाने वाली पीढ़ियों के लिए आईआईटी ने अद्भुत मंच प्रदान किया है. पहला आईआईटी 1951 में खड़गपुर में स्थापित हुआ था. उसके बाद और भी बहुत से आईआईटी देश के अलहदा हिस्सों में खुले. इनमें प्रमुख हैं- रुड़की, दिल्ली, कानपुर और बाॅम्बे, मद्रास आदि.
इंफोसिस के मुखिया नारायण मूर्ति से लकर भारत के कुछ प्रमुख लोकप्रिय स्टार्ट अप जैसे फ्लिपकार्ट के बंसल आईआईटी की ही देन है. आईआईटीज ने निश्चित तौर पर देश ही नहीं, बल्कि विश्व के कुछ सर्वश्रेष्ठ इंजीनियर और तकनीकी दक्ष प्रतिभाएं पैदा की हैं.
इंडियन इंस्टीट्यूट आॅफ मैनेजमेंट (स्थापना- 1961)
जो स्थान इंजीयिरिंग की दुनिया में आईआईटी को मिला हुआ है, वही स्थान प्रबंधन के क्षेत्र में आईआईएम का है. पहला आईआईम संस्थान 1961 में अस्तित्व में आया. उसके बाद से लेकर अब तक 18 और आईआईएम बन चुके हैं. वस्तुतः आईआईएम की परिकल्पना देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की देन थी. तत्कालीन योजना आयोग की सिफारिश पर यह संस्थान स्थापित किया गया था.
आॅल इंडिया इंस्टीट्यूट आॅफ मेडिकल साइंस (एम्स) (स्थापना- 1956)
1956 में अस्तित्व में आया एम्स भारत का शीर्श मेडिकल काॅलेज है. शुरुआत में एम्स कोलकाता में बनाया जाना प्रस्तावित था लेकिन तत्कालीन मुख्यमंत्री बीसी राॅय ने यह प्रस्ताव ठुकरा दिया था. छोटी से छोटी सर्जरी प्रशिक्षण केंद्र से आईवीएफ सुविधाओं तक एम्स देश के कई प्रभावी चिकित्सा प्रोजेक्ट का प्रणेता रहा है.
नेशनल स्कूल आॅफ ड्रामा (स्थापना-1959)
थियेटर कला प्रशिक्षण केंद्र एनएसडी ने देश को कई विख्यात हस्तियां दी हैं. देश के कई वर्तमान श्रेष्ठ अभिनेता-अभिनेत्री एनएसडी की ही देन है. भारतीय थियेटर के महारथी इब्राहिम अल्काजी एनएसडी के सर्वाधिक लोकप्रिय और बड़े निर्देशक थे.
फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट आॅफ इंडिया (स्थापना-1960)
भारत के सर्वश्रेष्ठ फिल्म स्कूल एफटीआईआई का इतिहास काफी व्यापक है. एफटीआईआई के कुछ पूर्व प्रमुख जैसे अदूर गोपालकृष्णन, सईद मिर्जा व अन्य कई बड़े-बड़े नाम हैं. जाॅन अब्राहम, जानू बरुआ, मणि कौल और कुछ अन्य बड़े नाम इसकी एलुमुनाई सूची में हैं.
नेशनल सेंटर फाॅर द परफाॅर्मिंग आर्ट्स (स्थापना-1969)
एनसीपीए का भारत के सांस्कृतिक क्षेत्र में बहुत बड़ा योगदान है. जेआरडी टाटा और जमशेद भाभा द्वारा स्थापित एनसीपीए एक बहु आयामी, बहु सांस्कृतिक संस्थान हैै, इसने स्थापना के बाद से ही कला विज्ञान को काफी सक्रिय योगदान दिया.
नेशनल इंस्टीट्यूट आॅफ फैशन टैक्नाॅलोजी (स्थापना-1986)
देश का सर्वश्रेष्ठ फैशन इंस्टीट्यूट निफ्ट. ज्यादातर प्रसिद्ध भारतीय फैशन डिजाइनर इसी संस्थान से आते हैं. सव्यसाची मुखर्जी से लेकर रितु बेरी और मनीष अरोड़ा इसी संस्थान से निकले हैं.
नेशनल इंस्टीट्यूट आॅफ डिजाइन (स्थापना 1961)
देश के बेहतरीन डिजाइन संस्थानों में से एक अहमदाबाद का निड वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के औद्योगिक नीति एवं प्रोन्नति विभाग के अधीन एक स्वायत्तशासी संस्था है. वर्ष 2010 में बिजनेस वीक ने निड को दुनिया की शीर्ष डिजाइन संस्थानों की सूची में शामिल किया. ओरिजित सेन, दयानिता सिंह व अन्य जानी-मानी डिजाइनर हस्तियां निड के एलुमुनाई में शामिल हैं.
इंडियन स्पेस रिसर्च आॅर्गेनाइजेशन (स्थापना 1969)
भारत की प्रतिष्ठित अंतरिक्ष एजेंसी इसरो की स्थापना बहुत ही महत्वपूर्ण दिन यानी कि 15 अगस्त को हुई थी. बहुत ही अल्प अवधि में इस एजेंसी ने काफी उपलब्धियां हासिल कर ली हैं.
इसरो ने देश का पहला उपग्रह आर्यभट्ट बनाया, बाद में इसे 1975 में सोवियत रूस ने पुनःप्रक्षेपित किया. इसरो ने कई राॅकेटों का सफल निर्माण किया है. भले ही यह पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (पीएसएलवी ) हो या जियोसिन्क्राॅनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (जीएसएलवी ).
इसी साल इसके खाते में एक और नई उपलब्धि जुड़ गई है, वह है अमेरीकी जीपीएस के मुकाबले भारत का अपना नैविगेशन सैटेलाइट तंत्र-भारतीय क्षेत्रीय नैविगेशन उपग्रह प्रणाली आईआरएनएसस का प्रक्षेपण.
भाभा एटोमिक रिसर्च सेंटर (स्थापना 1954)
देश का पहला परमाणु अनुसंधान केंद्र मुंबई के ट्राॅम्बे के बाहर स्थित है. शुरू में इसका नाम परमाणु ऊर्जा प्रतिष्ठान रखा गया. 1966 में वैज्ञानिक होमी भाभा के निधन के बाद इसका नाम बदल कर बार्क रखा गया. संस्थान का मुख्य कार्य परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में अनुसंधान करना है लेकिन साथ ही यह देश के कई क्षेत्रों में परमाणु रिएक्टर संचालित कर रहा है. बार्क आम यानी कि नागरिक अनुसंधान भी करता है.
सेंट्रल ड्रग रिसर्च इंस्टीट्यूट (स्थापना 1951)
आजादी के बाद देश में स्थापित की गई पहली प्रयोगशाला में से एक लखनऊ स्थित कादरी जैव चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में अनुसंधान करने वाली प्रतिष्ठित अनुसंधान संस्था है. इसकी टाॅक्सीकाॅलाॅजी और पैरासाइटोलाॅजी संबंधित एक संस्था का औपचारिक उद्घाटन प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने किया था.
नेशनल इंस्टीट्यूट आॅफ मेंटल हैल्थ एंड न्यूरोसाइंस (निमहांस) (स्थापना-1974)
मानसिक स्वास्थ्य अनुसंधान के लिए निमहांस देश का सर्वश्रेष्ठ संस्थान है. बंगलोर स्थित निमहांस को 1994 में यूजीसी द्वारा डीम्ड यूनिवर्सिटी का दर्जा दिया गया. साथ ही 2012 में एक संसदीय अधिनियम के तहत इसे राष्ट्रीय महत्व का संस्थान घोषित कर दिया गया.
वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट आॅफ इंडिया (स्थापना 1982)
अपने कार्य के लिए दुनिया भर में विख्यात वाइ देहरादून के बाहर छोर पर स्थित है. यहां वन्य जीव अनुसंधान एवं प्रबंधन संबंधी पाठ्यक्रम उपलब्ध हैं और इसी विषय पर अकादमिक कार्य भी करवाए जाते हैं.
नेशनल इंस्टीट्यूट आॅफ एडवांस्ड स्टडीज (स्थापना 1988)
प्राकृतिक विज्ञान, समाज विज्ञान, कला एवं मानविकी का उत्कृष्ट एवं प्रमुख संस्थान. जेआरडी टाटा द्वारा स्थापित इस अनुसंधान संगठन में होमी भाभा, डाॅ. राजा रमन्ना और सीएनआर राव जैसी हस्तियां शिक्षक रह चुकी हैं.