लाख टके का सवाल ये है कि सिद्धू का अगला कदम क्या होगा?

क्रिकेटर नवजोत सिंह सिद्धू ने सोमवार को संसद के मॉनसून सत्र के पहले ही दिन बीजेपी की राज्य सभा सदस्यता से इस्तीफा दे दिया. सिद्धू के इस्तीफे से पंजाब की सियासत में नया मोड आ गया है. राज्य में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं. इस्तीफे के बाद सिद्धू ने कहा कि पंजाब में बदलाव की जरूरत है.
सिद्धू के इस्तीफे के बाद उनकी पत्नी नवजोत कौर सिद्धू ने भी बीजेपी से इस्तीफा दे दिया. वे अमृतसर (पूर्व) सीट से विधायक हैं. कौर पंजाब सरकार में मुख्य संसदीय सचिव भी हैं.
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सिद्धू के इस्तीफे के बाद हर कोई एक ही सवाल पूछ रहा है कि उनका अगला कदम क्या होगा?
सिद्धू तीन बार बीजेपी के टिकट पर लोकसभा जा चुके हैं और पार्टी ने हाल ही में उन्हें राज्यसभा भेजा था. ऐसे में उनके इस्तीफे के बाद से ये अफवाह फैल रही है कि वो आम आदमी पार्टी में शामिल हो सकते हैं और पार्टी उन्हें पंजाब में सीएम का उम्मीदवार बना सकती है.
पुरानी नाराजगी
ये बात किसी से छिपी नहीं है कि सिद्धू दंपत्ति राज्य की अकाली सरकार से खुश नहीं थे. माना जाता है कि जब 2014 के लोकसभा चुनाव में पार्टी ने उन्हें उनकी परंपरागत अमृतसर लोकसभा सीट अरुण जेटली के लिए छोड़ने के लिए कहा तो उन्हें ये नागवार गुजरा था. राजनीतिक जानकारों के अनुसार तब से ही सिद्धू राजनीतिक रूप से लगभग निष्क्रिय हो गए थे.
जब बीजेपी ने उन्हें राज्यसभा भेजा तो इसे सिद्धू दंपत्ति को मनाने की कवायद की तरह देखा गया. तब माना गया कि विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी राज्य में एक लोकप्रिय नेता को खोना नहीं चाहती.
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सिद्धू राज्य के युवा मतदाताओं में काफी लोकप्रिय हैं. उनका भाषण देने का अंदाज और साफ-सुथरा ट्रैक रिकॉर्ड उनके पक्ष में जाता है. राजनीतिक जानकार मानते हैं कि पार्टी को उनके चेहरे का लोकसभा और विधानसभा दोनों में फायदा होता था.
पिछले चार चुनावों से बीजेपी राज्य में विधानसभा की कुल 117 सीटों में से 23 पर चुनाव लड़ती आ रही है. बीजेपी राज्य में अकाली दल की साझेदार है. पार्टी का सबसे अच्छा प्रदर्शन 2007 के विधानसभा चुनाव में रहा था, जब उसने 19 सीटों पर जीत हासिल की थी. पिछले विधान सभा चुनाव में बीजेपी को 12 सीटों पर जीत मिली थी. उसे राज्य में कुल 7.15 प्रतिशत वोट मिले थे. वहीं जिन सीटों पर बीजेपी ने चुनाव लड़ा था वहां उसे 39.73 प्रतिशत वोट मिले थे.
सिद्धू ने लोकसभा चुनाव में जेटली के लिए प्रचार करने से इनकार कर दिया था. चुनाव में जेटली को कांग्रेस अध्यक्ष कैप्टन अमरिंदर सिंह ने करीब एक लाख वोटों से हरा दिया था.
अकाली दल पर निशाना
सिद्धू का अकाली दल से मनमुटाव तब शुरू हुआ जब उन्होंने अकाली नेता और राज्य के वित्त मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया पर हमला करना शुरू कर दिया. उन्होंने मजीठिया पर चुनाव से पहले उनके संसदीय क्षेत्र की अनदेखी करने का आरोप लगाया था.
खबरों के अनुसार कुछ महीने पहले पार्टी ने उन्हें राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग का सदस्य बनाने का प्रस्ताव दिया जिसे उन्होंने ठुकरा दिया. सिद्धू के समर्थकों का भी मानना है कि पार्टी उन्हें राज्यसभा भेजने के बजाय हालिया उपचुनाव में उतार सकती थी लेकिन पार्टी ने उनकी जगह श्वेत मलिक को चुनाव में उतारा.
मिस्टर एंड मिसेज सिद्धू के लिए बीजेपी की बेताबी
सिद्धू की पत्नी भी पिछले एक साल से अकाली दल के खिलाफ गाहे-बगाहे बयान देती रही हैं. कौर लगातार कहती रही हैं कि अगर बीजेपी को राज्य में अपना प्रसार करना है तो उसे अकाली दल से अलग होना होगा. कौर चाहती हैं कि पार्टी राज्य में अकेले अपने दम पर विधानसभा चुनाव लड़े.
एक अप्रैल को उन्होंने सोशल मीडिया पर बीजेपी से इस्तीफा देने की बात लिख दी थी लेकिन बाद में उन्होंने उसे हटाते हुए पार्टी छोड़ने के दावे का खंडन कर दिया.
सिद्धू दंपत्ति पर डोरे
पंजाब बीजेपी के नेता पहले से ही आम आदमी पार्टी की तरफ से सिद्धू दंपत्ति पर डोरे डाले जाने को लेकर आशंकित रहे हैं. पिछले एक साल से दोनों के आम आदमी पार्टी में जाने की बात उड़ती रही है.
अभी इसी महीने की शुरुआत में जब कौर ने अकाली दल पर हमला करते हुए कहा कि राज्य में 'लाल-बत्ती की गाड़ियों' में ड्रग्स की तस्करी होती है, तो आम आदमी पार्टी के नेताओं ने उनके बयान को हाथों-हाथ लपक लिया और बीजेपी से इस मुद्दे पर अपना स्टैंड साफ करने के लिए कहा.
आम आदमी पार्टी के नेता और संगरूर से सांसद भगवंत मान ने नवजोत कौर के बयान का हवाला देते हुए आरोप लगाया कि उप मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल ने राज्य में हर ऐसे ऐरे-गैरे को 'लाल बत्ती' आवंटित की है.
मान ने कहा कि पूरा पंजाब जानता है कि ये 'ऐरे-गैरे' लोग कौन हैं लेकिन खुद सुखबीर बादल लोगों को उनके बारे में बताएं तो बेहतर होगा.
मान ने बीजेपी पर ड्रग्स को लेकर दोहरे रवैये का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि एक तरफ तो बीजेपी मानती है कि राज्य में नशे की समस्या गंभीर हो चुकी है, दूसरी तरफ वो राज्य सरकार को क्लीन चिट देती है.
राजनीति टिप्पणीकार बलजीत बल्ली ने कैच से कहा, "अगर सिद्धू दंपति आम आदमी पार्टी में जाते हैं तो राज्य के सियासी माहौल में बड़ा बदलाव आ सकता है. सिद्धू के पास आम आदमी पार्टी में जाने का विकल्प है लेकिन देखना ये है कि बीजेपी उनके इस्तीफे पर क्या प्रतिक्रिया करती है."
सिद्धू के आम आदमी पार्टी में जाने की बात को इसलिए भी बल मिल रहा क्योंकि पार्टी राज्य में मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के लिए एक भरोसेमंद चेहरा खोज रही है. हालांकि कुछ राजनीतिक जानकारों का ये भी कहना है कि अगर आम आदमी पार्टी सिद्धू को सीएम उम्मीदवार बनाती है तो वो अंदरूनी कलह का शिकार हो सकती है.
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हालांकि अभी तक आम आदमी पार्टी ने आधिकारिक तौर पर सीएम उम्मीदवार के बारे में केवल इतना कहा है कि वो राज्य से होगा और बाहर से आयातित नहीं होगा.
कुछ राजनीतिक जानकार ये भी अनुमान लगा रहे हैं कि सिद्धू का इस्तीफा राज्य में बीजेपी और अकाली के अलगाव की पृष्ठभूमि तैयार करने के लिए बिछाया गया जाल हो सकता है ताकि बीजेपी अकेले दम पर राज्य में चुनाव लड़ सके.
इससे बीजेपी अकाली दल की छाया से निकलकर लंबे दौर में राज्य में एक प्रमुख ताकत के रूप में उभर सकती है. राज्य बीजेपी में पिछले कुछ दिनों में अकालियों के खिलाफ आवाज भी उठ रही थी. हाल ही में बीजपी के राज्य अध्यक्ष विजय सांपला ने एक कार्यक्रम में अकाली सरकार के प्रति अपनी नाराजगी खुलकर व्यक्त की थी. इस कार्यक्रम में रेल मंत्री सुरेश प्रभु और राज्य के सीएम प्रकाश सिंह बादल दोनों मौजूद थे.
First published: 19 July 2016, 7:43 IST