इस स्टेशन से शुरू हुई थी 'अटल-आडवाणी' की दोस्ती की ट्रेन
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पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का गुरूवार शाम लंबी बीमारी के चलते दिल्ली के एम्स अस्पताल में निधन हो गया. आज उनके पार्थिव शरीर को बीजेपी मुख्यालय में अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा. भारत की राजनीति के एक सर्वमान्य नेता के रूप में अपनी अलग पहचान बनाने वाले अटल ने हमेशा के लिए देश-दुनिया को अलविदा कह दिया.
अटल बिहारी वाजपेयी और लाल कृष्ण आडवाणी ने ही भारतीय जनता पार्टी की स्थापना की. इसके बाद से ही राजनीति में 'अटल-आडवाणी' एक ही नाम के तौर पर लिया जाने लगा. एक समय ऐसा भी था जब राजनीति में अटल और लाल कृष्ण अडवाणी को एक ही इकाई के रूप में देखा जाने लगा था. हालांकि बीजेपी की स्थापना के पहले से ही आज के ये दोनों प्रतिष्ठित नेता राजनीति में अपनी जगह बना चुके थे. अाडवाणी और अटल दोनों ने ही आरएसएस के प्रचारक के रूप में शुरुआत की थी. ये दोनों ही पत्रकारिता से भी जुड़े रहे.
अटल और आडवाणी के एक साथ आने और उनकी दोस्ती शुरू होने का किस्सा भी बहुत दिलचस्प है. इन दोनों को मिलाने का श्रेय जनसंघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी को दिया जा सकता है. उस समय अटल बिहारी वाजपेयी अपने ओजस्वी भाषणों को लेकर काफी चर्चित थे. इसी कारण पंडित उपाध्याय और मुखर्जी चाहते थे कि अटल को संसद में एंट्री मिल जाए.
इस स्टेशन से शुरू हुई अटल आडवाणी की दोस्ती
एक बार अटल जी कश्मीर मुद्दे पर देश का दौरा कर रहे श्यामा प्रसाद मुखर्जी के साथ उनके सहयोगी के तौर पर मुंबई एक ट्रेन से जा रहे थे. उस समय लाल कृष्ण आडवाणी आरएसएस प्रचारक के तौर पर कोटा में कार्यरत थे. उन्हें जब पता चला कि इस स्टेशन से अटल जी गुजरेंगे तो उनसे मुलाक़ात के लिए वो वहीं रुक गए.
और इसी के साथ अटल-आडवाणी की ये जोड़ी की शुरुआत हुई. आज अटल बिहारी वाजपेयी इस देश को अलविदा कह कर चले गए. कभी हार न मानने वाले अटल ने मौत को अपना लिया और पूरे देश का दिल जीत कर अलविदा कह चले.
First published: 17 August 2018, 11:51 IST