राम जन्मभूमि: मोदी सरकार का बड़ा कदम, सुप्रीम कोर्ट में दी जमीन लौटाने की अर्जी

राम जन्मभूमि मामले में लोकसभा चुनाव से पहले केंद्र सरकार ने बड़ा दांव चलते हुए सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दी है. केंद्र सरकार ने अदालत से ''विवादित जमीन'' छोड़कर बाकी जमीन को लौटने और इसपर जारी यथास्थिति हटाने की दरख्वास्त की है. सरकार ने अपनी अर्जी में कहा है कि जमीन का विवाद सिर्फ 2.67 एक़ड़ पर है, बाकी जमीन पर कोई विवाद नहीं है. इसलिए उस पर यथास्थिति बरकरार रखने की जरूरत नहीं है. यह 67 एकड़ जमीन 2.67 एकड़ विवादित जमीन के चारो ओर स्थित है.
सरकार चाहती है जमीन का बाकी हिस्सा राम जन्मभूमि न्यास को दिया जाए और शीर्ष अदालत इसकी इज़ाजत दे.मोदी सरकार के इस कदम का वीएचपी और कई हिंदूवादी संगठनों ने स्वागत किया है. राजनीतिक रूप से संवेदनशील राम जन्मभूमि विवाद मामले में सारकार द्वारा अब ता किया सबसे बड़ा फैसला है.

साल 1993 में केंद्र सरकार ने अयोध्या अधिग्रहण ऐक्ट के तहत विवादित स्थल और आसपास की जमीन का अधिग्रहण कर लिया था और पहले से जमीन विवाद को लेकर दाखिल तमाम याचिकाओं को खत्म कर दिया था. तब यह व्यवस्था दी गई थी कि केंद्र तब तक जमीन को कस्टोडियन की तरह अपने पास रखे.
गौरतलब है कि अयोध्या मामले की नई संवैधानिक 5 सदस्यीय संवैधानिक पीठ सुनवाई कर रही है. जस्टिस यू यू ललित के रामजन्म भूमि-बाबरी मस्जिद की सुनवाई से खुद को अलग करने के बाद नए बेंच का गठन किया गया है. इस बेंच में CJI रंजन गोगोई के अलावा जस्टिस चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस एसए बोबडे, और जस्टिस अब्दुल नज़ीर हैं. नई बेंच में जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस अब्दुल नजीर को शामिल किया गया है.
First published: 29 January 2019, 11:13 IST