अयोध्या विवाद: सुप्रीम कोर्ट में आज से शुरू होगी सुनवाई, प्रभावित हो सकते हैं आने वाले चुनाव

विवादित बाबरी ढांचा और राम मंदिर विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार (8 फरवरी) से फिर सुनवाई शुरू हो रही है. इस पर पिछली सुनवाई 8 दिसंबर को हुई थी, लेकिन दस्तावेज तैयार नहीं हो पाने पर सुप्रीम कोर्ट ने इसकी सुनवाई 2 महीने के लिए बढ़ा दी थी. तब सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के वकील कपिल सिब्बल ने सुनवाई टालने की मांग करते हुए कहा था कि यह केस सिर्फ भूमि विवाद नहीं है बल्कि राजनीतिक मुद्दा भी है.
कपिल सिब्बल ने कहा था कि चूंकि यह राजनीतिक मुद्दा है इसलिए इसकी सुनवाई साल 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद की जाए, क्योंकि इसका चुनावों पर भी असर पड़ेगा. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने कपिल सिब्बल की इन दलीलों को बेतुका बताते हुए कहा था कि हम राजनीति नहीं केस के तथ्य को देखते हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने तब 2 महीने तारीख बढ़ा दी थी क्योंकि तब कुल 19,590 पेज में से सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के हिस्से के 3,260 पेज जमा नहीं हुए. पिछली सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने अगली सुनवाई की तारीख 8 फरवरी तय की थी. उस वक्त उन्होंने कहा था कि अगली तारीख पर कोई भी डॉक्युमेंट्स के नाम पर सुनवाई टालने की मांग नहीं करेगा. सभी पक्ष अपने डॉक्युमेंट्स तैयार करें. उन्होंने कहा था कि दूसरे पक्षों के साथ बैठकर कॉमन मेमोरेंडम बनाएं. कोर्ट ने 11 अगस्त को 7 लैंग्वेज के डॉक्युमेंट्स का ट्रांसलेशन करवाने को कहा था.
राम मंदिर के समर्थन में आए पक्षकारों का कहना है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 90 सुनवाई में ही फैसला दे दिया था. पक्षकारों का मानना है कि सुप्रीम कोर्ट 50 सुनवाई में फैसला दे सकता है. हालांकि बाबरी मस्जिद से जुड़े पक्षकार ऐसा नहीं मानते. उनका कहना है कि केस में दस्तावेजों का अंबार हैं, उन सभी पर प्वाइंट टू प्वाइंट दलीलें रखी जाएंगी.
अभी तीन जज केस की सुनवाई कर रहे हैं जिसमें चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस अब्दुल नाजिर और जस्टिस अशोक भूषण हैं. चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा का कहना है कि सुनवाई में देरी न हो, इस लिए दोनों पक्षों से बात की गई है. चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के आदेश पर रजिस्ट्रार ज्यूडिशियल वन ने 22 जनवरी को केस से जुड़े सभी पक्षकारों के वकीलों के साथ बैठक की थी. इसमें दस्तावेजों के आदान-प्रदान की प्रक्रिया की गई. पक्षकारों को सुना गया. एक फरवरी को दोबारा से बैठक की गई. इसमें पक्षकारों ने बताया, वे तैयार हैं.
अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से देश की राजनीति पर व्यापक असर हो सकता है. 2019 में लोकसभा चुनाव में बीजेपी और अन्य पार्टियां राम मंदिर को बड़ा मुद्दा बना सकती हैं. वहीं इस साल होने वाले कर्नाटक, राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव भी प्रभावित हो सकते हैं.
Supreme Court to start final hearings in #Ayodhya case today https://t.co/65SZCswxkm pic.twitter.com/Uoe0ncJ7pH
— NDTV (@ndtv) February 8, 2018
अभी तीन जज केस की सुनवाई कर रहे हैं जिसमें चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस अब्दुल नाजिर और जस्टिस अशोक भूषण हैं. चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा का कहना है कि सुनवाई में देरी न हो, इस लिए दोनों पक्षों से बात की गई है. चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के आदेश पर रजिस्ट्रार ज्यूडिशियल वन ने 22 जनवरी को केस से जुड़े सभी पक्षकारों के वकीलों के साथ बैठक की थी. इसमें दस्तावेजों के आदान-प्रदान की प्रक्रिया की गई. पक्षकारों को सुना गया. एक फरवरी को दोबारा से बैठक की गई. इसमें पक्षकारों ने बताया, वे तैयार हैं.
अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से देश की राजनीति पर व्यापक असर हो सकता है. 2019 में लोकसभा चुनाव में बीजेपी और अन्य पार्टियां राम मंदिर को बड़ा मुद्दा बना सकती हैं. वहीं इस साल होने वाले कर्नाटक, राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव भी प्रभावित हो सकते हैं.
First published: 8 February 2018, 9:01 IST