बिहार: अब सरकारी बैठकों में बोतलबंद पानी पर बैन

बिहार में अब सरकारी बैठकों में बोतल बंद पानी नहीं मिलेगा. इसकी जगह ग्लास में पानी दिया जाएगा. राज्य में इससे पहले नीतीश कुमार सरकार ने पहल करते हुए शराब पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया था.
मुख्य सचिव अंजनी सिंह और बिहार सरकार के प्रधान सचिव विवेक कुमार सिंह के पत्र मिलने के बाद डीडीसी अमित कुमार ने सभी विभागों के प्रमुख को इस बारे में चिट्ठी लिखी है.
डीडीसी ने बताया कि मुख्य सचिव ने जनवरी 2015 में यह निर्देश दिया था कि किसी भी सरकारी बैठक में बोतल बंद पानी का इस्तेमाल नहीं किया जाए, इससे पर्यावरण प्रदूषण को बल मिलता है.
केंद्र सरकार ने 40 माइक्रॉन से कम मोटाई वाली प्लास्टिक की थैलियों पर पहले ही रोक लगाई है, लेकिन बोतल बंद पानी का इस्तेमाल धड़ल्ले से हो रहा है.
एक साल फाइल में दबा निर्देश
मुख्य सचिव का यह निर्देश एक साल तक फाइलों में दबा रहा, लेकिन बिहार सरकार के प्रधान सचिव ने दोबारा 22 जनवरी को पत्र भेजकर बोतल बंद पानी को बंद करने को कहा.
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खत में उन्होंने लिखा कि पर्यावरण संरक्षण के लिए ये बेहद जरूरी है. इसकी जगह प्लास्टिक, शीशा या स्टील के ग्लास का इस्तेमाल किया जाए.
पर्यावरण के लिए पहल
इसके बाद डीडीसी ने सभी विभागों में निर्देश भेजा है. पर्यावरण के लिए बोतल बंद पानी हानिकारक माना जाता है. इन बोतलों के निर्माण में बीपीए नाम का रसायन होता है जो इंसान के अंगों के लिए काफी नुकसानदायक होता है.
इन बोतलों को रिसाइकिल नहीं कर सकते हैं. वहीं बोतलों को खाने से हर साल दस लाख से ज्यादा पशु-पक्षी की मौत हो जाती है.
एक बोतल बनाने में छह किलो कार्बन डाईऑक्साइड का उत्सर्जन वायुमंडल में होता है. एक लीटर बोतल बंद पानी तैयार करने में पांच लीटर पानी अलग से बर्बाद होता है.