Coronavirus: भारतीय टीके के आगे कहीं नहीं टिकता चाइनीज कोरोना वैक्सीन, चीनी विशेषज्ञों ने भी माना

Coronavirus: पूरी दुनिया में कोरोना वायरस के प्रकोप के बाद इसकी वैक्सीन पर काम चल रहा है. भारत में 16 तारीख से वैक्सीनेशन का काम शुरू भी हो जाएगा. दूसरी तरफ चीन ने भी अपनी वैक्सीन तैयार की है, लेकिन भारतीय वैक्सीन के आगे चीन की वैक्सीन कहीं नहीं टिकती. चीन की सिनोवैक द्वारा बनाई गई कोरोना वायरस का वैक्सीन औंधे मुंह गिर गई है.
इस वैक्सीन के लिए जिन देशों ने आर्डर दिए थे, उन्होंने अब इसे खरीदने से हाथ पीछे खींचने शुरू कर दिये हैं. वहीं भारत में बन रहे कोविड टीके की मांग अब तेजी से दुनियाभर में बढ़ने लगी है. भारतीय वैक्सीन को लेकर दुनियाभर के देशों में तेजी से मांग बढ़ी है. स्वयं चीन के अखबार और विशेषज्ञों ने माना है कि भारत कोरोना वैक्सीन के मामले में उनसे आगे है.
बता दें कि अभी तक ब्राजील चीनी वैक्सीन का इस्तेमाल कर रहा था लेकिन अब वह भारत की कोविड वैक्सीन कोविशील्ड को मंगाना चाहता है. कोविशील्ड मंगाने का दुनिया के कई देश आर्डर भी दे चुके हैं. पूरी तरह से इंडिया में निर्मित भारत बॉयोटेक की वैक्सीन कोवैक्सिन खरीदने के लिए दुनियाभर के देश दिलचस्पी दिखा रहे हैं.
दुनियाभर का मीडिया भारत के वैक्सीन का लोहा स्वीकार कर रहा है. हर कोई मान रहा है कि भारत वैक्सीन निर्माण में दुनियाभर में नंबर एक पर है. चीनी एक्सपर्ट भी मानते हैं कि भारत का सीरम इंस्टीट्यूट बहुत मेच्योरी तथा क्वालिटी के साथ वैक्सीन तैयार करता है और उसकी उत्पादन क्षमता काफी जबरदस्त है.
बता दें कि भारत में अब तक दो तरह की वैक्सीन को मंजूरी मिली है. इसमें से एक है कोविशील्ड तथा दूसरी है कोवाक्सिन. कोविशील्ड वैक्सीन को पुणे के सीरम इंस्टीट्यूट ने आक्सफोर्ड एस्ट्रा जेनेका की सहायता से तैयार किया है. वहीं भारत बॉयोटेक के कोवाक्सीन को लेकर भी दुनिया भर से डिमांड आ रही है. भारत बायोटेक के पास जबरदस्त रिसर्च सुविधाएं हैं. इसकी उत्पादन क्षमता भी काफी है.
अयोध्या: राम मंदिर निर्माण के लिए राष्ट्रपति कोविंद ने दिया पहला दान, 5 लाख 100 रुपए किए जमा
दिल्ली के पालिका बाजार में मिलता है नकली सामान, स्नैपडील है पाइरेटेड सामानों का अड्डा- USTR