coronavirus: ICMR ने प्लाज्मा थेरेपी की दी अनुमति, ठीक हो चुके कोरोना मरीज के ब्लड से होगा इलाज

इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) COVID-19 के मामलों से निपटने के लिए प्लाज्मा थेरेपी का इस्तेमाल करेगा. केरल इसका इस्तेमाल करने वाला पहला राज्य होगा. प्लाज्मा थेरेपी में उन लोगों के ब्लड का इस्तेमाल किया जाता जो कोरोना वायरस से उबरे हैं. कांस्टेलेसेंट प्लाज्मा थेरेपी में रिकवर किए गए रोगी के ब्लड से लिए गए एंटीबॉडी दूसरे रोगी के ब्लड में इम्युनिटी उत्पन्न करने में मदद करता है.
ICMR अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि यह केवल गंभीर स्थिति में या वेंटिलेटर सपोर्ट पर रोगियों में क्लिनिकल ट्रायल के माध्यम से किया जाएगा. ICMR का कहना है “हम प्लाज्मा थेरेपी के लिए एक प्रोटोकॉल बनाने के अंतिम चरण में हैं और इसके बाद हमें ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया से एप्रूवल की आवश्यकता होगी.
ICMR ने कहा यह ट्रायल बेसिस पर किया जायेगा. बाहरी देशों में प्लाज्मा थेरेपी से सफलता मिली है लेकिन भारत में इसे केवल वेंटिलेटर या गंभीर रोगियों पर ही किया जायेगा. एक रिपोर्ट के अनुसार आईसीएमआर-नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एपिडेमियोलॉजी के निदेशक डॉ. मनोज मुहरेकर ने केरल के बारे में पूछे गए एक सवाल के जवाब में कहा कि वहां इसकी अनुमति दी गई है. कांस्टेलेसेंट प्लाज्मा थेरेपी से उम्मीद की जाती है कि कोरोना वायरस के लिए विशिष्ट एंटीबॉडी जो रिकवर किए गए रोगी के रक्त में मौजूद हैं, दूसरे रोगी में प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया उत्पन्न करने में मदद करेगा.
तिरुअनंतपुरम स्थित श्री चित्रा तिरुनल इंस्टीच्यूट फॉर मेडिकल साइंस एंड टेक्नोलॉजी आईसीएमआर ने इसकी अनुमति दी है. रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन दक्षिण कोरिया इसका इस्तेमाल सफल रहा है. डॉक्टरों का कहना है कि किसी मरीज के ब्लड से ऐंटीबॉडीज उसके ठीक होने के 14 दिन बाद ही लिए जा सकते हैं. ऐंटीबॉडीज केवल प्लाज्मा में मौजूद होते हैं और डोनर के शरीर से लगभग 800 मिलीलीटर प्लाज्मा लिया जाता है.
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First published: 10 April 2020, 10:10 IST