दिल्ली विधानसभा चुनाव: अगर चला यह दांव तो केजरीवाल भी नहीं रोक पाएंगे BJP को चुनाव जीतने से
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दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए वोटिंग जारी है. इसके नतीजे 11 फरवरी को आएंगे. कुछ दिन पहले जहां बिजली और पानी मुफ्त करने का दांव चलाकर आम आदमी पार्टी की तरफ मुकाबला एकतरफा लग रहा था, वहीं भाजपा के जबरदस्त चुनाव प्रचार के बाद अब चुनाव रोचक हो गया है. अब चुनाव विशेषज्ञ भी आम आदमी पार्टी और भाजपा के बीच जीत-हार को लेकर अटकलें लगा रहे हैं.
इसका कारण है दिल्ली में भाजपा का आक्रामक चुनाव प्रचार. भाजपा ने दिल्ली विधानसभा चुनाव प्रचार में शाहीन बाग प्रदर्शन को खूब भुनाया. प्रधानमंत्री मोदी से लेकर पार्टी के पूर्व अध्यक्ष और गृह मंत्री अमित शाह और वर्तमान अध्यक्ष जेपी नड्डा हर रैली और सभा में शाहीन बाग का मुद्दा उठाते रहे. बीजेपी लगातार अपनी सभाओं में जनता के बीच कहती रही कि आप शाहीन बाग के साथ हैं या शाहीन बाग के खिलाफ?
वहीं, दूसरी तरफ जेएनयू छात्र शरजील इमाम के देश विरोधी बयान को भी भाजपा ने चुनाव में खूब भुनाया. भाजपा ने देश विरोध का मुद्दा बनाकर बहुसंख्यक वोटर्स को भरपूर साधने की कोशिश की. दिल्ली के लिए भाजपा ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी. इतनी ताकत भाजपा ने बड़े-बड़े राज्यों के विधानसभा चुनाव में भी नहीं लगाई.
भाजपा ने चुनाव प्रचार में गली-गली अपने मुख्यमंत्रियों, पूर्व मुख्यमंत्रियों, केंद्रीय मंत्रियों और सांसद-विधायकों की फौज दौड़ा दी. दिल्ली का ऐसा कोई मुहल्ला नहीं बचा था, जहां दिग्गज से दिग्गज नेताओं ने सभाएं न की हों. इसके अलावा दिल्ली के व्यापारियों को भी भाजपा ने लुभाने की कोशिश की. दिल्ली के व्यापारियों को हमेशा सीलिंग का भय सताता रहा है.
व्यापारियों को भाजपा ने यह बताने की कोशिश कि यदि केंद्र के साथ दिल्ली में भी भाजपा की सरकार हो तो वह व्यापारियों को सीलिंग से राहत दिला सकती है. चुनाव से एक दिन पहले व्यापारियों के सबसे बड़े संगठन 'कैट' ने व्यापारियों से भाजपा को समर्थन देने का ऐलान किया. आपको बता दें कि कैट से दिल्ली में 15 लाख व्यापारियों का जुड़ाव है. अगर भाजपा के साथ व्यापारी समुदाय आ जाता है तो यह पार्टी के लिए फायदे का सौदा साबित होगा.
इसके अलावा दिल्ली में सत्ता विरोधी लहर भी है. साल 2015 का चुनाव जीतने के समय अरविंद केजरीवाल ने काफी बड़े वादे किए थे. लेकिन शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली और पानी के मुद्दे को छोड़कर कई मोर्चे पर सरकार ने अपेक्षित काम नहीं किया है. दिल्ली के लोगों का कहना है कि आप की प्रचंड लहर में जीतने वाले विधायक पांच साल तक दिखाई नहीं दिए. ऐसे में केजरीवाल को एंटी इन्कमबेंसी झेलनी पड़ सकती है.
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First published: 8 February 2020, 13:10 IST