केजरीवाल को बड़ा झटका, हाई कोर्ट ने 21 संसदीय सचिवों की नियुक्ति रद्द की

दिल्ली हाई कोर्ट ने केजरीवाल सरकार को बड़ा झटका देते हुए 21 संसदीय सचिवों की नियुक्ति को अवैध करार देते हुए रद्द कर दिया है. इस मामले में 21 आप विधायकों की सदस्यता का मामला चुनाव आयोग में चल रहा है.
इस फैसले से पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने दिल्ली सरकार के इस संबध में भेजे गए पारित विधेयक को भी नामंजूर कर दिया था. इस विधेयक में 21 विधायकों को लाभ के पद के दायरे से बाहर रखने का प्रावधान था.
सुप्रीम कोर्ट जाने का विकल्प
इस फ़ैसले के बाद इन 21 विधायकों को संसदीय सचिव के अपने पद त्यागने पड़ सकते हैं. हालांकि दिल्ली सरकार के पास इस फैसले के खिलाफ अभी भी सुप्रीम कोर्ट जाने का विकल्प खुला है.
इन विधायकों को संसदीय सचिव नियुक्त करने का बीजेपी और अन्य पार्टियों ने लगातार विरोध किया था. विपक्षी बीजेपी और कांग्रेस का आरोप था कि इन 21 विधायकों को मंत्रियों की तरह सुविधाएं दी जाएंगी, जिससे दिल्ली की जनता पर बोझ पड़ेगा.
हालांकि दिल्ली सरकार ने "संसदीय सचिव विधेयक बिल'' के पास न होने के लिए केंद्र सरकार को ज़िम्मेदार ठहराया था. आप पार्टी का इस संबंध में कहना था कि इन 21 विधायकों को किसी तरह की आमदनी, सुविधा, गाड़ी, बंगला जैसी सुविधाएं सरकार की ओर से नहीं दी जाएंगी.
13 मार्च 2015 को हुई थी नियुक्ति
गौरतलब है कि आम आदमी पार्टी के 21 विधायकों को संसदीय सचिव बनाने के खिलाफ राष्ट्रीय मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष रविंद्र कुमार ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. याचिकाकर्ता का कहना था कि ये नियुक्तियां असंवैधानिक हैं और मुख्यमंत्री को अधिकार नहीं है.
याचिकाकर्ता ने कोर्ट में कहा था कि 13 मार्च 2015 को मुख्यमंत्री ने 21 विधायकों को संसदीय सचिव बनाया, जो विभिन्न मंत्रियों की मदद करेंगे, वह पूरी तरह गैर-कानूनी और संविधान के खिलाफ है.
ऐसे में सारी नियुक्तियों को रद्द किया जाना चाहिए. इस याचिका में संविधान की धारा 239 एए का जिक्र किया गया. यही मुख्यमंत्री केजरीवाल और उपराज्यपाल नजीब जंग के बीच तनाव की वजह बनी थी.