'हर दिन एक लाख लीटर गौमूत्र इकट्ठा कर बनायी जा रही हैं दवाईयां'

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का कहना है कि उनकी सरकार ने गोमूत्र के औषधीय गुणों को पहचानने के बाद उसके व्यवसायीकरण को लेकर कई कदम उठाये हैं. गुरुवार को हरिद्वार के कटारपुर में ‘गोरक्षक बलिदान दिवस’ के अवसर पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ने कहा कि हर दिन एक लाख लीटर गोमूत्र इकट्ठा कर उनका प्रयोग ऐसी दवाइयां बनाने में किया जाता है जो त्वचा और हृदय की बीमारियों के उपचार में काम आती हैं.
मुख्यमंत्री ने कहा कि, ‘उत्तराखंड में हमारी सरकार ने पहली बार गोमूत्र के औषधीय गुणों को पहचाना और उसके व्यवसायीकरण के लिए प्रभावी क़दम उठाए.’ सीएम रावत ने कहा कि उनकी सरकार ने गाय की देसी नस्लों के संरक्षण के लिए कई उठाए हैं.
इस मौके पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह कृष्ण गोपाल ने कहा कि यह धार्मिक तीर्थयात्रा के किसी बड़े केंद्र के समान ही महत्वपूर्ण है. उन्होंने कटारपुर को ‘गोतीर्थ’ की संज्ञा दी.
इस कर्यक्रम में प्रदेश के कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक और विधायकों ने शहीदों के 140 रिश्तेदारों को सम्मानित किया. वहीं देहरादून में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने उन्हें सांप्रदायिक भावनाएं नहीं भड़काने की चेतावनी दते हुए कहा कि अगर सरकार गौ सेवा को लेकर इतनी गम्भीर है तो कटारपुर में गौ अनुसंधान केंद्र बनाए. पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि गौ तीर्थ के नाम पर राज्य को सांप्रदायिकता की प्रयोगशाला नहीं बनने देंगे.
कटारपुर में 1918 में गोवध रोकने को लेकर दो समुदायों के बीच हुए खूनी संघर्ष के बाद चार को फांसी सहित 135 लोगों को काले पानी की सज़ा दी गई थी.
ब्रिटिश शासन ने आठ फरवरी, 1920 को कनखल के उदासीन अखाड़ा के महंत ब्रह्मदास (45), चौधरी जानकी दास (60), डॉ. पूर्ण प्रसाद (32) तथा मुक्खासिंह चौहान (22) को फांसी पर लटका दिया था. इसकी याद में प्रतिवर्ष यहां ‘गोरक्षक बलिदान दिवस’ मनाया जाता है.
First published: 11 February 2018, 11:49 IST