किसान आंदोलन : महाराष्ट्र के किसानों को आखिर विधानसभा घेराव की आवश्यकता क्यों पड़ी ?

महाराष्ट्र के 30,000 से ज्यादा किसानों ने पांच मार्च को कृषि पावरहाउस नासिक से 170 किलोमीटर दूर मुंबई की ओर चलना शुरू किया था. अब किसान मुंबई पहुंच चुके हैं, सोमवार को किसान विधानसभा का घेराव करेंगे. रैली के नेताओं की मांग किसानों की कर्जमाफी, फसलों के लिए उचित कीमतें सुनिश्चित करने और अनुसूचित जनजातियों के लाभ के लिए वन अधिकार अधिनियम को कार्यान्वित करने की है.
#WATCH: Visuals from Mumbai's Azad Maidan where members of All India Kisan Sabha have gathered to protest. #Maharashtra pic.twitter.com/3GgN6UMVPB
— ANI (@ANI) March 12, 2018
साल 2017-18 की समीक्षा में कहा गया है कि कृषि क्षेत्र में आठ फीसदी और खेतों के रकबे में 14 फीसदी की कमी दर्ज की गई है. इसके अलावा बीते साल कर्जमाफी योजना के तहत 89 लाख किसानों के लिए 340 अरब रुपये जारी करने की बात कही गई थी. हालांकि, राज्य सरकार के बजट में कहा गया है कि अब तक केवल 36 लाख किसानों के लिए 139 करोड़ रुपये ही जारी किए गए हैं.
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रिपोर्ट के अनुसार किसानों की आय को दोगुना करने के लिए केंद्र सरकार के संकल्प के लिए प्रमुख कृषि क्षेत्र में 10 प्रतिशत लगातार वृद्धि की आवश्यकता है. रैली कर रहे किसान नेताओं का आरोप है कि राज्य में कृषि क्षेत्र (खरीफ और रबी दोनों) 2016-17 में 430 अरब रुपये से 2017-18 में 220 अरब रुपये तक गिर गया है.
#Visuals from Umang women bike rally organised by an NGO & police in Bhiwandi on the occasion of #InternationalWomensDay on 8th March; more than 2,000 women participated in the event. #Maharashtra pic.twitter.com/uSJk8fZhB6
— ANI (@ANI) March 12, 2018
सांसद और दक्षिणी महाराष्ट्र के एक किसान नेता राजू शेट्टी का कहना है कि ऋण माफी योजना के खराब कार्यान्वयन के कारण बैंकों ने इस मौसम में किसानों को ऋण देने से परहेज किया. नतीजतन किसानों के पास बुआई और खेती करने के लिए बहुत पैसा नहीं था. जून 2017 में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस द्वारा घोषित 340 अरब रुपये के ऋण माफी पैकेज में से केवल 138 अरब रुपये का भुगतान 6 मार्च, 2017 तक किया गया था.
महाराष्ट्र में कपास सबसे पसंदीदा खरीफ फसल है. यह 2017 में 4.2 मिलियन हेक्टेयर में बोया गया था, राज्य भर में 15 मिलियन हेक्टेयर के कुल खरीफ फसल क्षेत्र का लगभग एक तिहाई था. कपास की पैदावार घटकर 244 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर हो गई है.
First published: 12 March 2018, 12:01 IST