राफेल लड़ाकू विमान सौदे में मोदी सरकार को क्लीन चिट

फ्रांस ने मोदी सरकार को राफेल लड़ाकू विमान डील में क्लीन चिट दी है. फ्रांस का कहना है कि इस डील में कुछ भी ग़लत नहीं हुआ है. फ्रांस के राजनयिक सूत्रों का कहना है कि राफेल लड़ाकू विमान को उत्कृष्ट प्रदर्शन और प्रतिस्पर्धी मूल्य के लिए चुना गया है. राफेल को पूरी तरह पारदर्शी और प्रतिस्पर्धी प्रक्रिया के माध्यम से चुना गया था. ये एक घरेलू राजनीतिक मामला है और वह उसमें दखल नहीं देना चाहते हैं.
कांग्रेस ने 36 राफेल लड़ाकू विमान डील को लेकर मोदी सरकार पर गंभीर आरोप लगाए थे. कांग्रेस का आरोप है कि मोदी सरकार ने फ्रांस की कंपनी डसाल्ट एवियेशन के साथ राफेल लडाकू विमानों खरीदने को लेकर जो समझौता किया है उसमें ज्यादा पैसा दिए गए है. डसाल्ट एवियेशन ने भारतीय वायुसेना को 36 राफेल लड़ाकू विमान देने हैं.
Can you explain "Reliance" on someone with nil experience in aerospace for Rafale deal?
— Office of RG (@OfficeOfRG) November 16, 2017
इन आरोपों पर अनिल अंबानी के नेतृत्व वाली रिलायंस डिफेंस लिमिटेड ने कांग्रेस से आरोप वापस लेने को कहा है. उसका कहना है कि आरोप वापस ना लेने पर वो कांग्रेस पर मुकदमा करेंगे. कांग्रेस का आरोप है कि फ्रांस की कंपनी ने भारतीय पाटर्नर (रिलायंस डिफेंस) को गलत तरीके से चुना है.
कांग्रेस का आरोप है कि साल 2012 में यूपीए सरकार ने फ्रांस से एयरक्राफ्ट खरीदने के लिए जितने में समझौता किया था. उससे तीन गुना ज्यादा रकम देकर मोदी सरकार एयरक्राफ्ट खरीद रही है. इसके अलावा उसने मोदी सरकार पर एक कंपनी को फायदा पहुंचाने का आरोप लगाया है.
इस डील पर कांग्रेस का कहना है कि सिर्फ एक इंड्रस्ट्रियल ग्रुप रिलायंस डिफेंस लिमिटेड को क्यों फायदा पहुंचा है. इस कंपनी ने फ्रांस की डसाल्ट एवियेशन के साथ मिलकर 30 करोड़ रुपये का निवेश किया है?
अपने ऊपर लगे आरोपों पर रिलायंस डिफेंस ने सफाई दी है. रिलायंस डिफेंस ने कहा, "24 जून 2016 को केंद्र सरकार द्वारा रक्षा क्षेत्र में नई नीति लागू की गई. जिसके अनुसार, रक्षा क्षेत्र में बिना पूर्व अनुमति के 49 फीसदी एफडीआई को मंजूरी दी गई. इस नीति के मुताबिक अब संयुक्त उद्यम कंपनी का गठन करने के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल या सीसीएस की अनुमति की जरूरत नहीं है.
First published: 16 November 2017, 12:50 IST