स्वच्छ गंगा के लिए 111 दिन के अनशन के बाद दे दी प्राणों की आहुति, PM मोदी को लिखे तीन खत नहीं आया जवाब

गंगा की सफाई के लिए 111 दिनों से अनशन पर बैठे 86 साल के पर्यावरणविद् जीडी अग्रवाल का गुरुवार को निधन हो गया. अनशन के दौरान तबियत बिगड़ने सरकार ने उन्हें आनन-फानन में अस्पताल में भर्ती कराया. उन्हें ऋषिकेश एम्स ले जाया गया. लेकिन डॉक्टर उन्हें बचा नहीं पाए. पर्यावरणविद् जीडी अग्रवाल लम्बे आरसे से गंगा की सफाई के लिए संघर्ष कर रहे हैं. उन्हें स्वामी सानंद के नाम से भी जाना जाता है. स्वच्छ गनगा के लिए सरकार से उनकी मांग थी कि गंगा को साफ़ और अविरल बनाए रखने के लिए विशेष कानून बनाया जाए.
साइंटिस्ट से बन गए सन्यासी: गंगा सफाई के लिए लम्बे आरसे से लड़ाई लड़ने वाले जीडी अग्रवाल आईआईटी कानपुर में बतौर सिविल और पर्यावरण इंजीनियरिंग विभाग के प्रमुख कार्यरत थे. राष्ट्रीय गंगा बेसिन प्राधिकरण का काम जीडी अग्रवाल ने ही किया. इतना ही नहीं अग्रवाल अलावा केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पहले सचिव भी बने.
आईआईटी रुड़की से सिविल इंजीनियरिंग करने के बाद जीडी अग्रवाल रुड़की यूनिवर्सिटी में ही पर्यावरण इंजीनियरिंग के विजिटिंग प्रोफेसर बने. उनके करियर की शुरुआत उत्तरप्रदेश के सिंचाई विभाग से हुई. यहां पर उन्होंन डिजाइन इंजीनियर का पद सम्भाला. इसके बाद उन्होंने बनारस में स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज के सानिध्य में आकर संन्यास दीक्षा ग्रहण की. तभी से जीडी अग्रवाल, स्वामी ज्ञान स्वरूप सानंद के नाम से लोगों के बीच में जाने गए.
गंगा सफाई के लिए 2008 में की शुरू की हड़ताल : जीडी अग्रवाल ने गंगा के साथ ही बाकी नदियों की सफाई के लिए पहली बार 2008 में हड़ताल शुरू की थी. उन्होएँ सरकार को मांगे न पूरी करने पर प्राण त्यागने की धमकी दी. उनकी इस हड़ताल के बाद सरकार नदी के प्रवाह पर जल विद्युत परियोजनाओं के निर्माण को रद्द करने पर सहमत हुई.
2012 में किया आमरण अनशन : राष्ट्रीय गंगा बेसिन प्राधिकरण की सदस्यता से त्याग पत्र देते हुए अग्रवाल ने इसे निराधार बताया था. इसके बाद 2012 में पहली बार आमरण अनशन पर बैठे थे. पर्यावरण के क्षेत्र में उनके योगदान और प्रतिष्ठा को देखते हुए उनके हर उपवास को गंभीरता से लिया गया.
2014 में मोदी के जीतने पर रुका रोका : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गंगा की स्वच्छता के लिए 2014 में चुनाव प्रचार के दौरान जिम्मेदारी और समर्पण दिखाया था. इसके बाद ही अग्रवाल ने आमरण अनशन खत्म किया था. लेकिन जब सरकार बनने के बाद से अब तक ‘नमामि गंगे’ परियोजना का कोई सकारात्मक परिणाम न आया तो उन्होंने 22 जून, 2018 को हरिद्वार में दोबारा अनशन शुरू कर दिया. इस अनशन के दौरान पुलिस ने अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठे जीडी अग्रवाल को जबरन उठा लिया और एक अज्ञात स्थान पर ले गए.

PM मोदी को लिखे खत
गंगा की सफाई को लेकर प्रधानमंत्री मोदी की प्रतिबद्धता को देखते हुए जीडी अग्रवाल ने PM को खत भी लिखे. लेकिन अफ़सोस कि उनके किसी खत पर उचित सुनवाई नहीं हुई. उन्होने खत में लिखा है यदि उनकी मांग को नहीं सुना गया तो वे अपने प्राण त्याग देंगे.
9 अक्टूबर को त्याग दिया जल: आमरण अनशन के चलते सरकार ने उन्हें ऋषिकेष स्थित एम्स में हिरासत में ले लिया. यहां डॉक्टरों की कई जबरदस्ती के बाद भी उन्होंने भोजन नहीं किया. 9 अक्टूबर से जल भी त्याग दिया था. और अंत में गंगा के इस सच्चे सपूत ने गुरुवार को प्राण त्याग दिए.
First published: 12 October 2018, 7:45 IST