गुजरात: 'चलो उना' मार्च समापन के बाद दलितों पर फिर हमला, मरी गायों को नहीं हटाने का संकल्प

गुजरात के उना में दलित मार्च का सोमवार को समापन हो गया. अहमदाबाद से शुरू हुआ 350 किलोमीटर लंबा 10 दिवसीय पैदल मार्च यहां दलितों के प्रदर्शन स्थल पर समाप्त हुआ.
इस दौरान हजारों दलितों ने मृत गाय को नहीं हटाने का संकल्प लिया और कहा कि अगर एक महीने के भीतर गुजरात सरकार हर परिवार को पांच एकड़ जमीन देने की उनकी मांग को पूरा नहीं करती है, तो विशाल रेल रोको आंदोलन शुरू किया जाएगा.
उना में फिर हमला
इस बीच हमले की ताजा घटना के बाद फिर से तनाव व्याप्त हो गया. इस घटना में आठ लोग जख्मी हुए हैं. 70वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर खत्म हुई रैली में हिस्सा लेकर लौट रहे कुछ दलितों पर राज्य के गिर सोमनाथ जिले के उना में सामटेर गांव में संदिग्ध अगड़ी जाति के लोगों ने हमला किया.
पुलिस का कहना है कि हमले की इस घटना में आठ दलित घायल हुए हैं और उना (ग्रामीण) थाने में एक शिकायत दर्ज की गई है. इलाके के शीर्ष अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर हालात का जायजा लिया.

'दलित-मुस्लिम भाई-भाई'
इस बीच दलित समुदाय का उनके अभियान में समर्थन करने के लिए बड़ी संख्या में मुस्लिम समुदाय के सदस्य आए. सभा में ‘दलित-मुस्लिम भाई-भाई’ के नारे सुनने को मिले.
इस सभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी निशाने पर आए. हैदराबाद में आत्महत्या करने वाले दलित शोधार्थी रोहित वेमुला की मां राधिका वेमुला और बालू सरवैया (उना में जिन दलितों को पीटा गया था उनमें से एक के पिता) ने तिरंगे को संयुक्त रूप से जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार की मौजूदगी में फहराया.
दलित समुदाय के सात सदस्यों की गिर सोमनाथ जिले के उना तालुक के मोटा समधियाला गांव में मृत गाय की खाल उतारने के लिए कुछ स्वयंभू गोरक्षकों ने गत 11 जुलाई को बर्बर तरीके से पिटाई की थी.

जिग्नेश मेवानी की जनसभा
रैली में दलित नेताओं ने ‘जय भीम’ के नारों के बीच अत्याचार और भेदभाव से आजादी मांगी. इस मार्च का आयोजन उना दलित अत्याचार लड़त समिति (यूडीएएलएस) के बैनर तले 6 अगस्त को अहमदाबाद से शुरू हुआ था.
यूडीएएलएस की स्थापना करने वाले और मार्च का नेतृत्व कर रहे वकील से नेता बने जिग्नेश मेवानी ने सभा में कहा, "आप गाय की पूंछ पकड़ें, हमें जमीन दें."
इसके साथ ही उन्होंने वहां मौजूद लोगों से इस बात की शपथ लेने को भी कहा कि वे गाय की खाल उतारने का काम नहीं करेंगे. जिग्नेश ने मेनहोल के भीतर जाकर भूमिगत नालों की सफाई करने की प्रथा को भी छोड़ने की अपील की.

पांच एकड़ जमीन की मांग
मेवानी ने कहा, "हमने राज्य सरकार के समक्ष अपनी मांगें प्रस्तुत की हैं. अगर आप प्रत्येक दलित परिवार को अगले एक महीने में पांच एकड़ जमीन देने की हमारी मांगों को स्वीकार नहीं करते हैं, तो हम रेल रोको आंदोलन शुरू करेंगे."
पीएम मोदी को निशाना बनाते हुए मेवानी ने कहा, "बड़े स्तर के प्रदर्शन ने उन्हें मुद्दे पर बोलने को मजबूर किया. मोदी ने उस वक्त कुछ भी नहीं कहा था जब 2012 में तंगढ़ शहर में पुलिस की गोलीबारी में तीन युवक मारे गए थे. यह दलितों पर अत्याचार की एक अन्य घटना थी."
कन्हैया-राधिका वेमुला का भी संबोधन
जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार ने इस दौरान कहा, "विकास के गुजरात मॉडल के प्रचार की राज्य के दलितों ने हवा निकाल दी है. हम जातिवाद से आजादी चाहते हैं. हम देश में कहीं भी दलितों पर अब और अत्याचार बर्दाश्त नहीं करेंगे. इस तरह के अत्याचारों के खिलाफ लड़ने के लिए सबको साथ आना होगा."
राधिका वेमुला ने अपने भाषण में कहा, "मुझे अपने बेटे के लिए न्याय नहीं मिला है. उसे इसलिए आत्महत्या करनी पड़ी, क्योंकि वह दलित था. लेकिन यह देखकर अच्छा लग रहा है कि गुजरात में दलित आंदोलन ने मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल को इस्तीफा देने पर मजबूर कर दिया है. मैं यहां आई हूं ताकि किसी अन्य दलित बच्चे को उस स्थिति का सामना नहीं करना पड़े, जैसा मेरे बेटे को भुगतना पड़ा था."
First published: 16 August 2016, 12:11 IST