क्या राजनाथ सिंह ने दादरी मामले पर संसद में झूठ बोला?

- केस डायरी में दर्ज बयान के उलट गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने राज्य सरकार की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि मोहम्मद अखलाक की हत्या के पीछे न तो सांप्रदायिक कारण था न ही गोमांस इसकी वजह थी.
- वहीं पुलिस को दिए गए इकबालिया बयान में आरोपियों ने स्वीकार किया है कि उन्हें गाय के नाम पर मोहम्मद अखलाक और उसके परिवार वालों की हत्या के लिए उकसाया गया. इसकी प्रति कैच के पास मौजूद है.
सहिष्णुता पर जारी तमाम विवाद और बहस के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की कैबिनेट के सदस्य एक सुर में दादरी हत्याकांड की सच्चाई से अपना पल्ला झाड़ रहे हैं. दादरी में उन्मादी भीड़ ने मोहम्मद अखलाक नाम के ग्रामीण की बीफ खाने की अफवाह पर पीट-पीटकर हत्या कर दी थी.
भारत के गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने संसद में अपने बयान में कहा कि मोहम्मद अखलाक की हत्या का सांप्रदायिकता से कोई लेना-देना नहीं है. वहीं समाजवादी पार्टी के नेता राम गोपाल यादव ने बयान दिया, 'भारत दुनिया का सबसे सहनशील देश है. कुछ मसलों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जाता है, यह ठीक नहीं है.'
अखिलेश यादव ने पीड़ित के परिवार वालों के साथ फोटो खिंचवाने और मुआवजा देने के अलावा ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखाई. उनकी पुलिस इस मामले की जांच करने में अब तक हीलाहवाली करती रही है लेकिन अखिलेश यादव को कोई फर्क नहीं पड़ा. इस दौरान पूरी सरकार को मुलायम सिंह यादव का शाही जन्मदिन मनाने की याद जरूर रही.
बीजेपी की भूमिका इस मामले में और भी विचित्र रही. पार्टी के लोगों ने दादरी में जाकर ऐसे-ऐसे बयान दिए जिससे हिंदुओं का जबर्दस्त ध्रुवीकरण हुआ. लेकिन भाजपा खुद का बचाव यह कह कर कर रही है कि उत्तर प्रदेश में उसकी सरकार ही नहीं है. अखलाक के मरने के बाद भी सब कुछ खत्म नहीं हुआ है. हत्या पर राजनीति जारी है.
क्या राजनाथ सिंह को तथ्यों की जानकारी नहीं थी? क्या वे जानबूझकर संसद को गुमराह कर रहे थे? क्या राजनाथ सिंह जांच रिपोर्ट को अपनी सुविधा से कोट कर रहे थे?
राजनाथ सिंह ने उत्तर प्रदेश सरकार की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि मोहम्मद अखलाक की हत्या सांप्रदायिक कारणों या बीफ खाने की वजह से नहीं हुई. संसद में असहिष्णुता को लेकर जारी बहस के दौरान सिंह ने कहा, 'बीफ का कहीं कोई जिक्र तक पुलिस ने नहीं किया है. इसके अलावा इस बात को साबित करना बेहद मुश्किल है कि इस घटना को पहले से सोच-समझकर अंजाम दिया गया.'
हालांकि सच्चाई बिलकुल अलग है. कैच के पास इस मामले की केस डायरी के पन्ने मौजूद हैं जिसमें हत्या के मुख्य अभियुक्तों विशाल और शिवम के इकबालिया बयान दर्ज हैं. बयान में कहा गया है कि उन्हें हिंदुत्व के नाम पर अखलाक और उसके बेटे की हत्या के लिए उकसाया गया. दोनों आरोपियों के मुताबिक उन्हें यह बताया गया था कि अखलाक के घर में गाय की हत्या हुई है, जबकि हमारे धर्म में उसे माता का दर्जा दिया गया है. इसलिए उन्होंने अखलाक की हत्या की.उन्होंने आगे कहा, 'कुछ लोगों ने हमें बताया कि मुस्लिम अखलाक ने गाय को काटा है. हमारे धर्म में गाय को माता कहा गया है. इसके बाद हमने गुस्से में उसके घर जाकर दानिश की तब तक पिटाई कि जब तक कि वह बेहोश नहीं हो गया. इसके बाद अखलाक को पीटा गया और उसे घसीटकर ट्रांसफॉर्मर के पास लाया गया. मैं उन लोगों को पहचानता हूं लेकिन उनके नाम नहीं जानता. मैं उन्हें उनके चेहरे से पहचान सकता हूं.'
यह बयान विशाल राणा का है जो दादरी में बीजेपी के स्थानीय नेता संजय राणा का बेटा है. संजय राणा के भतीजे शिवम ने भी इसी तरह का बयान दिया है. उसने स्वीकार किया है कि उसे अखलाक की हत्या के लिए उकसाया गया और वह उन लोगों को पहचान सकता है जिन्होंने यह काम किया. यह सब कुछ पुलिस की केस डायरी में दर्ज है.
आरोपियों का यह बयान 14 अक्टूबर को पुलिस की रिमांड रिपोर्ट में दर्ज किया गया था. इसे सूरजपुर कोर्ट में चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट को सौंपा जा चुका है.
उत्तर प्रदेश सरकार की सुस्ती का पता इस बात से चलता है कि घटना के दो महीने बाद भी फॉरेंसिक लैब की रिपोर्ट नहीं आई है
शिवम और विशाल राणा को हिरासत में लेने के लिए उत्तर प्रदेश पुलिस ने इस रिपोर्ट को कोर्ट में सौंपा था. विशाल पर इस हत्या के मुख्य अभियुक्त होने के साथ ही 28 सितंबर की रात मंदिर के स्पीकर से गाय काटे जाने और उसके मांस को अखलाक के घर में रखा होने की घोषणा करने का आरोप है. इसके बाद अखलाक की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई और उसके बेटे दानिश को अधमरा छोड़ दिया गया. दानिश का फिलहाल दिल्ली के एक अस्पताल में इलाज चल रहा है.
इकबालिया बयान और दोनों आरोपियों द्वारा अपने सहयोगियों के पहचानने की बात मानने के बावजूद पुलिस ने अभी तक इस मामले में किसी को गिरफ्तार नहीं किया है. घटना के दो महीने बाद भी फॉरेंसिक लैब यह नहीं बता पाया है कि अखलाक के घर से मिला मांस किस चीज़ का था. सूत्रों के मुताबिक पुलिस अभी तक इस मामले में चार्जशीट तक नहीं बना पाई है.
मामले की जांच कर रहे पुलिस के एक बड़े अधिकारी ने बताया, 'हमने उनके बयान के बाद दूसरे लोगों की पहचान करने की कोशिश की है. लेकिन हम उन्हें तब तक गिरफ्तार नहीं कर सकते जब तक कि हमारे पास आैर सबूत नहीं आ जाते. आरोपी अक्सर पुलिस जांच को भटकाने की कोशिश करते हैं.'
मारे गए मोहम्मद अखलाक की बेटी के बयान के बावजूद अभी तक अन्य आरोपियों को गिरफ्तार नहीं किया जा सका है
मूल एफआईआर में एक नाबालिग समेत आठ लोगों को नामजद किया गया है. इसके अलावा एफआईआर में पांच अन्य व्यक्तियों के नाम का जिक्र है जिनकी भूमिका संदिग्ध है. सीजेएम को दिए गए बयान में अखलाक की बेटी ने दो नहीं बल्कि छह और आरोपियों का बाकायदा नाम के साथ जिक्र किया है.
सूत्रों के मुताबिक छह आरोपियों में से एक का बीजेपी के बड़े नेता से करीबी संबंध है. आरोपियों ने सबसे पहले अखलाक के घर के बाहर गाय का मांस होने की घोषणा की. उसके बाद अखलाक की हत्या की साजिश रची गई. लेकिन अखलाक की बेटी शाइस्ता के बयान के बावजूद किसी को गिरफ्तार नहीं किया जा सका है.
मोहम्मद अखलाक के परिवार का केस लड़ रहे वकील युसूफ सैफी ने कहा, 'मैं केस के बारे में बात नहीं कर सकता क्योंकि मामला अदालत में विचाराधीन है. हालांकि यह बात सब जानते हैं कि एफआईआर में उन लोगों का जिक्र है जिन्होंने मेरे क्लाइंट पर हमला किया. मैं उन्हें न्याय दिलाने की कोशिश करूंगा. अपराध में शामिल सभी लोगों को कानून का सामना करना होगा.'
इस दौरान पिछले दिनों संसद में सहिष्णुता को लेकर विशेष चर्चा आयोजित की गई. चर्चा के समापन अवसर पर बोलते हुए राजनाथ सिंह ने जो कहा वह कहीं से भी जायज नहीं कहा जा सकता क्योंकि, देश का गृहमंत्री लोकतंत्र के सर्वोच्च मंदिर में इस तरह की गलतबयानी नहीं कर सकता. क्या राजनाथ सिंह को तथ्यों की जानकारी नहीं थी? क्या वे जानबूझकर संसद को गुमराह कर रहे थे? क्या राजनाथ सिंह जांच रिपोर्ट को उसकी समग्रता में रखने की बजाय अपनी सुविधा से कोट कर रहे थे? ये ऐसे सवाल हैं जिनका स्पष्टीकरण राजनाथ सिंह ही दे सकते है.