आज राज्यसभा में पेश होगा NMC बिल, AIIMS, सफदरजंग के डॉक्टर हड़ताल पर

दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS), सफदरजंग और डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल (RML) सहित सरकारी अस्पतालों में आज रेजिडेंट डॉक्टरों की हड़ताल से कई सेवाएं प्रभावित होने की संभावना है. सभी डॉक्टर राज्य सभा में राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) विधेयक पेश करने का विरोध कर रहे हैं. डॉक्टरों के विरोध के बीच स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने देर रात एक ट्वीट में कहा कि वह 1 अगस्त को राज्यसभा में विचार और पारित करने के लिए एनएमसी विधेयक रखेंगे.
उन्होंने यह भी देश को आश्वासन दिया कि विधेयक पारित होने पर चिकित्सा शिक्षा क्षेत्र में बड़े बदलाव आएंगे. एम्स, आरएमएल और कुछ अन्य अस्पतालों के रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (आरडीए) ने प्रस्तावित हड़ताल के बारे में प्रशासन को अलग-अलग नोटिस दिए हैं. एम्स के रेजिडेंट डॉक्टर एक अगस्त को प्रदर्शन करेंगे और दोपहर में संसद की ओर मार्च करेंगे.
लोकसभा से पारित #NationalMedicalCommissionBill 2019 को कल ‘Considering & Passing’ के लिए #राज्यसभा में रखूंगा।चिकित्सा व सार्वजनिक जीवन के अपने लंबे अनुभव के आधार पर देशवासियों को विश्वास दिलाता हूं कि इस ऐतिहासिक बिल से स्वास्थ्य शिक्षा के क्षेत्र में व्यापक बदलाव आएगा #NMCBill pic.twitter.com/zSOL9wQzKd
— Dr Harsh Vardhan (@drharshvardhan) July 31, 2019
आईएमए का कहना है कि इस बिल के पास पास होने से मेडिकल कॉलेजों में शिक्षा महंगी हो जाएगी. इस बिल में प्रावधान है कि मेडिकल कॉलेजों की 50 फीसदी से अधिक सीटों को ज्यादा दर पर बेच पाएंगे. बिल के अनुसार करीब 3.5 लाख गैर-चिकित्सा शिक्षा प्राप्त लोगों को लाइसेंस दिया जायेगा. डॉक्टरों का दावा है कि विधेयक नीमहकीमों को प्रोत्साहित करेगा. डॉक्टर विधेयक में कुछ संशोधनों की मांग कर रहे हैं.
Delhi: Resident doctors sit on strike in AIIMS (All India Institute Of Medical Sciences) against National Medical Commission (NMC) Bill, 2019. Resident Doctors Association is observing a one-day strike against provisions of National Medical Commission Bill,across the nation today pic.twitter.com/hzaQBGEylu
— ANI (@ANI) August 1, 2019
यदि संशोधन नहीं किया जाता है, तो विधेयक चिकित्सा शिक्षा की गिरावट बढ़ावा देगा. वे विधेयक की धारा 45 पर आपत्ति जता रहे हैं, जो दावा करते हैं कि केंद्र सरकार को राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग के किसी भी सुझाव को रद्द करने का अधिकार है. एक रिपोर्ट अनुसार के एम्स आरडीए के अध्यक्ष अमरिंदर माली और इसके छात्रों के अध्यक्ष मुकुल कुमार ने कहा, "पूरी चिकित्सा बिरादरी की स्वायत्तता और गर्व राजनेताओं और नौकरशाहों के स्वामियों और नौकरशाहों के सामने समर्पण कर दिया गया है क्योंकि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री खुद एक डॉक्टर हैं.
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First published: 1 August 2019, 10:54 IST