क्या है पीएम मोदी की 2 साल की सबसे बड़ी भूल, जानिए पीएम की ही जुबानी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक समाचार चैनल से इंटरव्यू के दौरान तमाम मुद्दों पर बेबाकी से अपनी राय जाहिर की. नेटवर्क 18 को दिए इंटरव्यू में पीएम मोदी ने यूपी चुनाव से लेकर दलितों पर अत्याचार का मुद्दा, अर्थव्यवस्था और कश्मीर हिंसा पर अपनी राय रखी.
इस दौरान पीएम मोदी ने दो साल की सबसे बड़ी भूल पर भी राय जाहिर की. पीएम ने कहा, "कई लोग पूछते हैं कि दो साल में सबसे बड़ी गलती हमने क्या की है? जब मैं यह सोचता हूं तो पाता हूं कि पहला बजट लाने से पहले मुझे देश की आर्थिक स्थिति पर एक श्वेतपत्र सदन के पटल पर रखना चाहिए था."
इस बातचीत के दौरान पीएम मोदी ने अपनी जिंदगी से जुड़े कुछ अनछुए पहलुओं को भी साझा किया. उन्होंने यह भी बताया कि वो किससे प्रेरणा लेते हैं और उन्हें इतना काम करने की ऊर्जा कहां से मिलती है. इस इंटरव्यू की खास बातों पर एक नजर:
इंटरव्यू की अहम बातें
1. मीडिया को कभी-कभी राजनेताओं की जगह खिलाड़ियों के पीछे भी जाना चाहिए. देश को पता होना चाहिए कि खिलाड़ी कैसे एक मुकाम तक पहुंचने के लिए कठिन परिश्रम करते हैं. इससे मीडिया को भी फायदा होगा.
2. मैं बचपन से ही स्वामी विवेकानंद से प्रभावित रहा हूं. मुझे विवेकानंद की बातें बहुत अच्छी लगती रही है. ऐसे में मुझ पर स्वामी विवेकानंद का काफी असर रहा है.
3. काम से कभी थकान नहीं होती है. सच तो यह है कि काम ना करने से थकान होती है. थकान तो मनोवैज्ञानिक असर से होता है.
4. मेरा जो विकास हुआ है, उसमें बड़ी वजह यह है कि मैं बहुत सुनता हूं, समझता हूं. मैं वर्तमान में जीना पसंद करता हूं.
5. नरेंद्र मोदी भी एक इंसान ही है. मुझे क्यों अपने भीतर के इंसान को दबा देना चाहिए? जहां तक कर्तव्य का सवाल है, मैं जरूर निभाऊंगा. जहां झुकने की जरूरत है, वहां झुकना चाहिए. जहां कठोरता की जरूरत है, वहां कठोर होना चाहिए.
6. न्यायपालिका के साथ संघर्ष की कोई संभावना नहीं है. ये संविधान के तहत चलने वाली सरकार है.
7. आज मैं जो कुछ भी हूं, उसमें मीडिया का बड़ा योगदान है. मैं चलते-फिरते इंटरव्यू नहीं देता हूं. आज मीडिया में कई लोग ऐसे हैं, जिनके साथ मेरा दोस्ताना रिश्ता रहा है.
8. अंबेडकर जी को इस कल्चर ने क्या दिया? मोरारजी देसाई का क्या हुआ? देवगौड़ा जी के साथ क्या हुआ? चौधरी चरण सिंह के साथ क्या हुआ? कुछ लोग तो ऐसे ही मजाक उड़ाते हैं.
9. तकनीकी मदद से भ्रष्टाचार खत्म करने में मदद मिली है. मसलन, किसानों को यूरिया के लिए कभी-कभी मार भी खानी पड़ती थी. अब इसकी ब्लैक मार्केटिंग नहीं होती है.
10. हम विकास और विश्वास के मार्ग पर आगे बढ़ेंगे. अब हाई लेवल पर करप्शन कम हुआ है और धीर-धीरे निचले स्तर पर भी भ्रष्टाचार खत्म हो जाएगा.
11. मुझे यकीन है कि कश्मीर के नौजवान गुमराह नहीं होंगे. हम सब साथ मिलकर आगे बढ़ेंगे. हमें यकीन है कि सच्चे अर्थ में कश्मीर जन्नत बनी रहेगी.
12. हम यूपी सहित अन्य राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों में विकास के मुद्दे पर चुनाव लड़ेंगे. यही हमारी ताकत रहेगी.
13. यहां तो हर फैसला को चुनाव से जोड़कर देखा जाता है. हमारे यहां लोकतंत्र का मिजाज ही कुछ ऐसा है कभी ना कभी चुनाव होते रहते हैं. कई नेता कहते हैं कि क्यों ना लोकसभा और विधानसभा चुनाव साथ में हो. हमें सबको साथ मिलकर इस पर विचार करने की जरूरत है.
14. हर चीज लाभ और नुकसान के तराजू से नहीं तौला जा सकता है. हर हिंदुस्तानी की चाहत है कि उसका देश तरक्की करे. वह बहुत ही अपने मुल्क से मुहब्बत करता है.
15. मैंने सभी बैंकों से कहा कि हर ब्रांच एक महिला, दलित और आदिवासी को आर्थिक मदद करे. इससे कई लाख परिवारों को मदद मिलेगी.
16. गरीबों को ताकत देकर ही गरीबी मिटेगी. गरीबों के नाम पर राजनीति भी बहुत हुई है. हालांकि, मेरा रास्ता अलग है. मैं गरीबों को ताकत देने में यकीन करता हूं.
17. सामाजिक कुरीतियों ने कई जख्म दिए हैं. इसमें छोटी सी घटना भी बहुत दर्द देती है. हम सबका दायित्व है कि इस कुरीति को खत्म करें.
18. हम सबको मिलकर आगे बढ़नी चाहिए. मैंने लाल किले से कहा था कि मां-बाप जरा अपने बेटियों से तो पूछे वे कहां जाते हैं. रेप जैसी घटनाएं बेहद निंदनीय है.
19. पिछली सरकार की तुलना में हमारी सरकार में दलितों के खिलाफ हिंसा कम हुई है. हमारे समाज में विकृति आई है और हमें इससे उबरना होगा. आज देश में दलित सांसदों और आदिवासी सांसदों की काफी तादाद भाजपा में है.
20. काले धन पर 30 सितंबर के बाद सरकार कोई कड़ा कदम उठाती, तो इसके लिए हमें जिम्मेदार नहीं मानना चाहिए. देश की गरीब जनता के पैसे लूटने का किसी को अधिकार नहीं है.
21. काले धन का खेल अब खत्म हो गया है. देश के अंदर काले धन का पता लगाने के लिए कई कदम उठाए गए हैं. हमने लोगों को 30 सितंबर तक का मौका दिया है. अगर लोगों से गलती हो गई है, तो वो अपनी ब्लैक मनी घोषित कर दें और चैन की नींद से सो सकते हैं.
22. उस हालात में सियासी नुकसान सहकर भी चुप रहना बेहतर समझा. ऐसे में अब मुझे गालियां खानी पड़ती है. मैंने हमेशा राष्ट्रहित को सर्वोपरि समझा.
23. हमने यह सोचा भी था. राजनीति कहती है कि आप को वास्तविक स्थिति का खुलासा करना चाहिए, लेकिन राष्ट्र हित में यदि मैंने हालात का खुलासा किया होता तो अर्थव्यवस्था को नुकसान होता और एक झटके का सामना करना पड़ता.
24. कई लोग पूछते हैं कि दो साल में सबसे बड़ी गलती हमने क्या की है? जब मैं यह सोचता हूं तो पाता हूं कि पहला बजट लाने से पहले मुझे देश की आर्थिक स्थिति पर एक श्वेतपत्र सदन पटल पर रखना चाहिए था.
25. 1700 के करीब हमने ऐसे कानून निकाले हैं जो 19वीं और 20वीं शताब्दी में बने थे. अब इसमें समय के हिसाब से बदलाव की जरूरत है.
26. बड़ी तेजी से इकोनॉमी की रेटिंग बढ़ रही है. यूएन की एजेंसी ने कहा कि भारत जहां अभी 10वें नंबर पर है, अगले कुछ साल में दूसरे-तीसरे नंबर पर आ जाएगा.
27. इस बार मानसून अच्छा रहा है. यह उत्साह बढ़ाने वाली बात है और इससे किसानों को भी फायदा होगा. हम हर क्षेत्र में बढ़िया काम कर रहे हैं.
28. हमने नेक इरादों के साथ शुरुआत की. हमारी नीयत साफ था. नीतियां स्पष्ट थी. इसका नतीजा है कि इकोनॉमी बड़ी रफ्तार से आगे बढ़ रही है.
29. जीएसटी बिल से भारत की अर्थव्यवस्था में बड़ा बदलाव आएगा. यहां तक कि आजाद हिंदुस्तान में यह आर्थिक सुधार की लिहाज से बड़ी क्रांति है.
30. अब दुनिया में भारत का भरोसा बढ़ा है. अब ना केवल हिंदुस्तान के लोगों के अंदर विश्वास बढ़ा है, साथ ही दुनिया भर में लोग भारत की प्रतिभा के मुरीद हैं.
First published: 3 September 2016, 11:19 IST