मध्यप्रदेश: सरकारी ब्रांड विंध्या वैली को भूलकर पतंजलि का डंका बजा रहे शिवराज

- शुरुआत में विंध्या वैली ब्रांड हिंदुस्तान लीवर, मुंबई के साथ पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के जरिये लघु एवं छोटे उद्योग के रूप में बढ़ रहा था. मगर पतंजलि से बेहतर होने के बावजूद विंध्या वैली के उत्पाद राज्य के सभी ज़िलों और गांवों में नहीं पहुंचाए जा सके.
- केंद्र सरकार पंचवर्षीय योजना के तहत विंध्या वैली योजना के लिए 15 करोड़ रूपए जारी कर चुकी है. इसकी लागत का 75 प्रतिशत योगदान केंद्र सरकार ने देने का वादा भी किया. बावजूद इसके, मध्य प्रदेश सरकार अपनी योजना की बजाय बाबा रामदेव के पतंजलि के प्रचार-प्रसार में लगी हुई है.
मध्यप्रदेश सरकार लगता है अपने ही उत्पाद विंध्या वैली को भूल गई है. अफसोस और हैरानी इस बात की है कि यह उत्पाद अभी तक राज्य के सभी जिलों में पहुंच नहीं बना पाया है. दूसरी ओर सरकार राज्य के हर कोने और गांव में बाबा रामदेव के पतंजलि उत्पादों को पहुंचाने में लगी हुई है. हालांकि विंध्या वैली के बहुत से उत्पाद पतंजलि से बेहतर हैं लेकिन बाजार में मौजूद प्रतिस्पर्द्धी ब्रांड और संसाधनों की कमी के चलते यह घर-घर तक पहुंच नहीं बना पाए.
म.प्र. की पिछली सरकार ने स्वयं सहायता समूह के उत्पादों को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से 2002 में म.प्र. खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड के साथ मिल कर विंध्या वैली उत्पादों की परिकल्पना की थी. योजना से प्रभावित होकर केंद्र सरकार ने पंचवर्षीय योजना के तहत इसके लिए 15 करोड़ रूपए जारी कर दिए और लागत का 75 प्रतिशत योगदान देने का वादा किया. शुरुआत में विंध्या वैली ब्रांड हिंदुस्तान लीवर, मुंबई के साथ पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के जरिये लघु एवं छोटे उद्योग के रूप में बढ़ रहा था.
विंध्या वैली पानी, मसाला, चटनी, आटा, हर्बल शैम्पू, अचार, शहद, पापड़, मुरब्बा से लेकर क्रीम और सौंदर्य प्रसाधन तक बना रही थी लेकिन पिछले 14 सालों में उन्हें जिलों में बेचने के कोई प्रयास नहीं हुए, दूर दराज के इलाकों की तो बात ही क्या? भोपाल, इंदौर, उज्जैन, जबलपुर, रीवा, होशंगाबाद, बैतूल, ग्वालियर, बग्गा और नीमच जैसे कुछ शहरों में जरूर इसके वितरक और शोरूम हैं.
सरकार ने इन उत्पादों को सार्वजनिक वितरण प्रणाली और ग्रामीण कृषि ऋण सामाजिक दुकानों के जरिये भी बेचने की कोशिश नहीं की. दूसरी ओर शिवराज सिंह चौहान और सहकारिता मंत्री विश्वास सरग ने सार्वजनिक रूप से पतंजलि के उत्पादों को परामर्श व प्रोत्साहन की घोषणा की हुई है.
आंकड़ों में विंध्या वैली का हाल
वार्षिक बिक्री----20 लाख
18 जिलों में 5000 लोगों को रोजगार
829 स्व सहायता समूह और 37 ग्रामीण इकाई
सुरेश आर्य, अध्यक्ष, एमपी खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड का कहना है कि विंध्या वैली जहां थी,वहीं खड़ी है. समाज में लोग स्वदेशी और गुणवत्ता वाला सामान लेना पसंद करते हैं. इसलिए सरकार ऐसा कर रही है. वहीं विंध्या वैली के परामर्शी दीपक उपगडे का दावा है कि हमारे उत्पाद पतंजलि से बेहतर हैं. प्रयोगशाला में परीक्षण के बाद उन्हें बिक्री के लिए बाजार में भेजा जाता है. गुणवत्ता के मामले में ये किसी भी अन्य उत्पाद से पीछे नहीं हैं.
First published: 24 September 2016, 7:27 IST