बीजेपी व्याकुल है, महबूबा अपने पत्ते कब खोलेंगी

- 7 जनवरी को जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद के निधन के बाद राज्य में बीजेपी-पीडीपी गठबंधन के भविष्य को लेकर अकटलें लगायी जाने लगीं.
- बीजेपी पीडीपी के साथ गठबंधन जारी रखना चाहती है लेकिन महबूबा मुफ्ती ने अभी तक अपनी मंशा साफ नहीं की है. कुछ बीजेपी नेता नेशनल कॉन्फ्रेंस के साथ गठबंधन की संभावना से भी पूरी तरह इनकार नहीं कर रहे हैं.
जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद के निधन के बाद अचानक ही राज्य की राजनीति संकटग्रस्त नजर आने लगी. राज्य में चूहे-बिल्ली की स्थिति हो गयी है. राज्य में पीडीपी और बीजेपी की गठबंधन सरकार थी.
अभी भले ही महबूबा नई सरकार के गठन को टालती नजर आ रही हैं लेकिन बीजेपी के नेताओं को पूरी आशा है कि दोनों दलों का गठबंधन बरकरार रहेगा.
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एक वरिष्ठ बीजेपी नेता ने कैच को बताया, "ये देरी गैर-जरूरी है लेकिन इससे अब तक कोई नकुसान नहीं हुआ है. सब कुछ ठीक हो जाएगा. राज्य में बीजेपी-पीडीपी गठबंधन सरकार ही बनेगी."
वो कहते हैं, "पार्टी मामले पर करीबी नजर रखे हुए है." बीजेपी नेता मानते हैं कि ये केवल समय की बात है. पीडीपी के साथ बहुत ज्यादा विकल्प नहीं हैं. हमें उम्मीद है कि वो जल्द इस बात को समझ जाएंगे."
पीडीपी ने गठबंधन के बारे में कोई भी फैसला लेने के लिए महबूबा मुफ्ती को अधिकृत किया है
बीजेपी के एक अन्य नेता ने कहा कि अगर महबूबा इसी तरह मामले को खींचती रहीं तो बीजेपी दूसरे विकल्पों पर भी 'विचार' कर सकती है.वो कहते हैं, "हम बिल्कुल ये सरकार चलाना चाहते हैं. लेकिन दूसरे विकल्प भी खुले हैं. राजनीति में कोई अछूत नहीं होता."
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राज्य के विधान सभा चुनाव के परिणाम आने के बाद दिसंबर, 2014 में नेशनल कॉन्फ्रेंस के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह, अरुण जेटली और राम माधव से मिले थे.
तब ये माना गया था कि दोनों दलों के नेताओं ने गठबंधन की संभावनाओं पर बातचीत की थी.
कैच ने जिन बीजेपी नेताओं से बात की उन्होंने नए गठबंधन की संभावनाओं से पूरी तरह इनकार नहीं किया.
राजनीतिक संकट
मौजूदा संकट तब शुरू हुआ जब 7 जनवरी को राज्य के मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद का दिल्ली में लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया.
उनकी बेटी महबूबा मुफ्ती को उनका स्वाभाविक उत्तराधिकारी माना जाता रहा है. इसलिए सईद के बाद उनके ही मुख्यमंत्री बनने की उम्मीद थी. बीजेपी के समर्थन के बावजूद महबूबा ने कहा कि सात दिनों तक चलने वाले मातम के बाद ही वो इसपर विचार करेंगी.
कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि बीजेपी के साथ गठबंधन करने के कारण पिछले एक साल में घाटी में पीडीपी की लोकप्रियता और विश्वसनीयता कम हुई है. इस वजह से पीडीपी के कई नेता इसे एक ऐसे मौके की तरह देख रहे हैं जिससे पिछली भूल सुधारी जा सकती है.
एक वरिष्ठ बीजेपी नेता के अनुसार पीडीपी के पास राज्य में ज्यादा विकल्प नहीं हैं, महबूबा की हां बस वक़्त की बात है
वरिष्ठ बीजेपी नेता ने इसकी तरफ इशारा करते हुए कहा, "वो लोग गठबंधन के जमीनी असर का विश्लेषण और समीक्षा कर रहे हैं."
महबूबा और उनकी पार्टी जब तक जमीनी समीक्षा करेंगे तब गठबंधन का भविष्य अधर में लटका रहेगा. महबूबा अब तक अपनी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ कई बैठकें कर चुकी हैं लेकिन उनके इरादे की किसी को भनक नहीं मिल रही है.
वरिष्ठ बीजेपी नेता कहते हैं, "उन्हें अपने स्तर पर फैसला करने दीजिए. जब वो कोई जवाब देंगे तभी हम प्रतिक्रिया दे सकेंगे. अभी कुछ कहना सही नहीं होगा."
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रविवार को पीडीपी नेताओं की बैठक में महबूबा को गठबंधन के बारे में फैसला लेने के लिए अधिकृत किया गया.
इसमें कोई दो राय नहीं कि बीजेपी राज्य में सत्ता खोना नहीं चाहती. सवाल ये है कि क्या पीडीपी भी यही चाहती है? एक सवाल ये भी है कि नेशनल कॉन्फ्रेंस पर बीजेपी कितना भरोसा कर सकती है?
बहरहाल, उम्मीद है कि बहुत जल्द महबूबा अपने पत्ते खोलेंगी और फिर राज्य की राजनीति की नई बिसात बिछेगी.
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First published: 19 January 2016, 3:54 IST