जम्मू-कश्मीर निकाय चुनाव: वोट देने पहुंची जनता लेकिन नहीं जानती कौन-कौन है उम्मीदवार !

जम्मू-कश्मीर में स्थानीय निकाय चुनाव के पहले चरण के लिए आज सुबह से वोटिंग शुरू हो गई है. आतंकी हमले की धमकी के बावजूद भी आज सुबह से ही पुलिस ने सख्त सुरक्षा इंतजामों के बीच वोटिंग की प्रक्रिया को शुरू करा दिया. लेकिन एक चौकाने वाली खबर ये है कि लोग जिस चुनाव के लिए मतदान देने जा रहे हैं. उन्हें न तो इस चुनाव की पूरी जानकारी है न ही उन्हें ये पता है कि उम्मीदवार कौन कौन हैं?
ऐसे में जब जनता को ये ही नहीं मालूम की उम्मीदवार कौन है तो लोकतंत्र के तहत ये चुनाव महज एक औपचारिकता हो जाएगा. एनडीटीवी में छपी खबर के अनुसार कई स्थानीय लोगों ने बताया कि यहां अनेक लोगों को इस बारे में बहुत कम मालूम है और उनमें से अधिकतर ने अपने उम्मीदवारों को नहीं जानने तथा मतदान की तारीख पता नहीं होने की शिकायत की.
चुनावों के लिए हो रहे मतदान को लेकर श्रीनगर निवासी सुहैब अहमद ने बताया कि उनके वार्ड के लोगों को ये ही नहीं पता है कि इस बार उनके उम्मीदवार कौन-कौन हैं. वहीं एक और नागरिक जो कि निजी कंपनी में नौकरी करते हैं उन्होंने कहा, ‘‘यहां किसी से भी पूछिए कि क्या उन्हें पता है कि कौन-कौन उम्मीदवार हैं. हर व्यक्ति आपको बताएगा कि उसे कुछ नहीं मालूम. काफी गोपनीयता है.’’
अहमद ने इस मामले में सीधे सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार को बस यह दिखाने में दिलचस्पी है कि चुनाव हुआ है, चुनाव सही तरीके से हुआ है या नहीं इसमें सरकार की कोई रुचि नहीं है.
जम्मू-कश्मीर निकाय चुनाव: आतंकी हमले की धमकी और बहिष्कार के बीच शुरू हुआ पहले चरण का मतदान
#Jammu: People queue outside a polling booth in Gorakh Nagar to cast their votes in the first phase of urban local body elections pic.twitter.com/9PpoMvxswY
— ANI (@ANI) October 8, 2018
वहीं इस मामले में घाटी में तैनात एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि कश्मीर की मौजूदा हालत उम्मीदवारों को खुलेआम प्रचार करने की इजाजत नहीं देती है, खुलेआम घूमने से उनकी जान को खतरा है. आतंकवादियों ने इस चुनाव को लेकर हमलों की धमकी दी है वहीं अलगाववादी इसका बहिष्कार कर रहे हैं. पुलिस अधिकारी ने आगे कहा, ‘‘उम्मीदवारों को सुरक्षा दी गयी है और उनमें से ज्यादातर लोगों ने सुरक्षित ठिकानों पर शरण ले रखी है. स्थिति ऐसी है कि वे प्रचार नहीं कर सकते. केवल आतंकवादियों से ही नहीं, बल्कि भीड़ से भी खतरा है.’’
गंदेरबल के इशफाक अहमद ने कहा, ‘‘हमें पता नहीं है कि हमारे वार्ड से चुनाव कौन लड़ रहा है. अब तक कोई चुनाव प्रचार नहीं कर रहा है या घर-घर नहीं जा रहा है. सरकार ने भी चुनाव आयोग की वेबसाइट पर उम्मीदवारों का ब्योरा नहीं डाला है. कहीं कोई विवरण नहीं है. केवल उम्मीदवार को ही पता है कि वह चुनाव लड़ रहा है. शायद, उसके परिवार को भी पता नहीं है, इतनी गोपनीयता है.’’ इसी के साथ उसने कहा कि ज्यादातर लोग चुनाव का बहिष्कार ही करेंगे, बस उम्मीदवार के जो रिश्तेदार और मित्र होंगे वो ही वोट डालेंगे.
First published: 8 October 2018, 8:30 IST