जेएनयू विवाद: दोषी छात्रों के खिलाफ यूनिवर्सिटी ने मांगी कानूनी राय

जेएनयू कैंपस में 9 फरवरी को संसद पर हमले के दोषी अफजल गुरू की फांसी के खिलाफ आयोजित कार्यक्रम के संबंध में कुछ छात्रों को सजा देने के लिए यूनिवर्सिटी प्रशासन ने कानूनी राय मांगी है.
यूनिवर्सिटी के मुताबिक उस कार्यक्रम के दौरान कुछ छात्रों ने कथित तौर पर राष्ट्र विरोधी नारे लगाए गए थे. अब यूनिवर्सिटी ने इस मामले में चीफ प्रॉक्टर कार्यालय ने कानूनी राय मांगी है.
अगर यूनिवर्सिटी के सुरक्षा अधिकारी छात्रों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई करने का विचार बनाते हैं तो इस बात की आशंका है कि यूनिवर्सिटी में छात्रों के द्वारा एक बार फिर नए सिरे से धरने-प्रदर्शन शुरू हो सकते हैं.
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जेएनयू में अफजल गुरू से जुड़े मामले की जांच कर रहे पैनल ने बीते 11 मार्च को प्रशासन को अपनी रिपोर्ट दे दी थी, लेकिन यूनिवर्सिटी ने इस मामले में अब तक कोई फैसला नहीं लिया है.
जेएनयू प्रशासन के मुताबिक 'छात्रों से जुड़ा यह एक बेहद संवेदनशील मुद्दा है और यूनिवर्सिटी किसी के साथ किसी तरह का पक्षपात नहीं करेगी. अनुशासन के नियमों को ध्यान में रखते हुए आरोपी छात्रों को कितनी सजा दी जाए इस पर फैसला किया जाएगा. लेकिन सबसे पहले यह तय किया जाएगा कि सजा कानूनन न्यायोचित हो और छात्रों के भविष्य पर इसका बुरा प्रभाव न पड़े'.
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यूनिवर्सिटी की हाई लेवल कमेटी ने इन छात्रों को यूनिवर्सिटी के मानदंडों और अनुशासन नियमों के उल्लंघन का दोषी पाते हुए 14 मार्च को 21 छात्रों को कारण बताओ नोटिस जारी किया था.
इस नोटिस में प्रशासन द्वारा पूछा गया था कि उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई क्यों नहीं की जाए.