दिल्ली सरकार के सलाहकारों को पत्रकारों से हुई दिक्कत, व्हाट्सऐप ग्रुप से बाहर किया

दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के मीडिया सलाहकार अरुणोदय प्रकाश और अमर दीप तिवारी द्वारा चलाए जा रहे तीन विभिन्न व्हॉट्सऐप ग्रुप से सोमवार को छह पत्रकारों को निकाल दिया गया है.
एबीपी न्यूज के रिपोर्टर जैनेन्द्र कुमार भी इस ग्रुप से जुड़े हुए थे जिन्हें सोमवार को निकाल दिया गया. जैनेन्द्र ने खुद को निकाले जाने का स्क्रीनशॉट ट्विटर पर पोस्ट किया है. ये ग्रुप दिल्ली सरकार द्वारा आधिकारिक रूप से नहीं चलाए जा रहे हैं. व्हॉट्सऐप ग्रुप केवल बीट रिपोर्टरों को दिल्ली सरकार से जुड़ी सूचनाएं देने के लिए बनाया गया है.

यह विवाद तब शुरू हुआ जब एनडीटीवी के पत्रकार रवीश रंजन शुक्ला ने एनडीटीवी की वेबसाइट पर एक ब्लॉग लिखा. शनिवार को ब्लॉग पब्लिश होने के बाद सबसे पहले रवीश रंजन को ग्रुप को निकाला गया था. रवीश ने यह ब्लॉग दिल्ली के परिवहन मंत्री गोपाल राय के प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद लिखी थी. एनडीटीवी के अनुसार रवीश रंजन ने पब्लिक ट्रांसपोर्ट से जुड़े सवाल पूछे. गोपाल राय जवाब देने की कोशिश कर ही रहे थे कि बीच में आप के मीडिया सलाहकार नगेंद्र शर्मा ने तेज आवाज में 'अगला सवाल' बोलते हुए बात काट दी. उनका अंदाज ऐसा था कि अगला सवाल ना पूछा जा सके.
रवीश रंजन ने इसके बाद 'सवालों पर आंखें तरेरते सरकारी सलाहकार' हेडिंग से ब्लॉग लिखा. उन्होंने लिखा, 'मुबारकबाद देना चाहता हूं ऐसे सलाहकार साहब को. आप इसी तरह हर सवाल से उबलते रहें. मंत्री को सवाल टालने की ट्रेनिंग देते रहें, भुनभुनाते रहें, सवालों का जरिया बनने वालों का लिस्ट से नाम काटते रहें. उनको बदनाम तमगों से नवाजते रहें और खुद को महान से महानतम बनाते रहें. दिली मुबारकबाद ऐसे सलाहकारों को.'
हालांकि रवीश ने ब्लॉग में गोपाल राय और नागेंद्र शर्मा का नाम नहीं लिया. ग्रुप से निकाले जाने के बाद उन्होंने सरकार के फासीवादी व्यवहार को लेकर ट्वीट किया.

एबीपी न्यूज के जैनेन्द्र कुमार ने रवीश के ब्लॉग को शेयर किया था और उनका कहना है कि ब्लॉग शेयर की सजा मिली है. जैनेन्द्र को भी सोमवार को ग्रुप से निकाल दिया गया है. इसके अलावा दैनिक जागरण के दो पत्रकार और आज तक के एक पत्रकार को भी ग्रुप से हटाया गया है.
दिलचस्प है कि सोमवार को ही दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दैनिक जागरण के नेशनल ब्यूरो चीफ राजकिशोर को निशाने पर लिया था. राजकिशोर ने केजरीवाल सरकार की नीतियों जिनमें ऑड-ईवन कार्यक्रम भी शामिल हैं, उसे लेकर अपनी राय रखी थी.

इस पूरे विवाद पर दिल्ली सरकार के दो मीडिया सलाहकारों ने अपना पक्ष कैच न्यूज के सामने रखा है:
नागेंद्र शर्मा: दिल्ली सरकार द्वारा कोई व्हाट्सऐप ग्रुप नहीं चलाया जा रहा है. ये ग्रुप मेरे साथी अरुणोदय प्रकाश और अमर दीप द्वारा व्यक्तिगत स्तर पर चलाए जा रहे है. वे खुद अपने बिलों का भुगतान करते हैं. उनका विशेषाधिकार है कि वो किसे अपने ग्रुप में रखते हैं और किसे नहीं रखते हैं. दुर्भावनापूर्ण इरादे से झूठ फैलाया जा रहा है.
अरुणोदय प्रकाश: मैं पिछले 12 साल से पत्रकार हूं. मैं इस ग्रुप को मीडिया में अपने दोस्तों के आग्रह पर जानकारी की सुविधा के लिए बनाया है क्योंकि कई लोग अपने मेल को चेक नहीं कर पाते हैं. यह सरकारी प्लेटफॉर्म नहीं है. मैं अपने मोबाइल बिल का भुगतान खुद करता हूं. इस ग्रुप को मैंने बनाया है और यह मेरा निजी ग्रुप है. मीडिया से दुश्मनी के आरोप पूरी तरह से निराधार हैं. हमलोग बहुत मीडिया फ्रेंडली हैं. हमलोग सुबह सात बजे से रात 12 बजे तक मीडिया से बात करने के लिए उपलब्ध रहते हैं. कुछ मुठ्ठी भर लोगों के कहने पर नहीं जाना चाहिए.
दोनों सलाहाकारों ने पत्रकारों को निकाले जाने के सवाल पर लगभग एक ही बात दोहराया.
पहली बार दिल्ली में जब आम आदमी पार्टी की 49 दिनों की सरकार बनी तब केजरीवाल सरकार ने सचिवालय में पत्रकारों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया था. इसके विरोध में मीडिया ने मनीष सिसोदिया के प्रेस कॉन्फ्रेंस का बहिष्कार किया था. ये घटनाएं आप पार्टी और मीडिया के बीच के संबंधों को दर्शाते हैं.